स्मार्ट सिटीज़ मिशन के बाद की दिशा: SPVs और ICCCs की दीर्घकालिक भूमिका पर सरकार की रणनीति

भारत सरकार द्वारा 2015 में आरंभ किए गए स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) ने शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया। इस मिशन के तहत देश के 100 शहरों में विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicles – SPVs) बनाए गए, जिन्हें शहर स्तर पर नवाचार, योजना, और बुनियादी ढांचे के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु गठित किया गया। अब जबकि यह मिशन 31 मार्च 2025 को समाप्त हो रहा है, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि SPVs और आईसीसीसी (Integrated Command and Control Centres) की भूमिका यहीं समाप्त नहीं होगी।
SPVs की संरचना और अब तक की उपलब्धियाँ
SCM के अंतर्गत गठित SPVs को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत राज्य सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा 50:50 हिस्सेदारी में बनाया गया था। अब तक, 8,000 से अधिक परियोजनाओं में से 93% से अधिक परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और ₹48,000 करोड़ के कुल बजटीय प्रावधान में से 99.44% राशि जारी की जा चुकी है।
इन SPVs ने सीमित समय में उच्च मूल्य की शहरी परियोजनाओं को निष्पादन कर दिखाया है और सरकार के भीतर एक कुशल शहरी प्रबंधन कार्यबल भी विकसित किया है।
ICCCs: डेटा आधारित शहरी प्रबंधन का नया मॉडल
प्रत्येक स्मार्ट सिटी में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर आज ‘सिटी ऑपरेटिंग सिस्टम’ बन चुके हैं। ये केंद्र ट्रैफिक नियंत्रण, भीड़ प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा, आपदा प्रतिक्रिया, और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में तत्काल निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करते हैं। राज्यों को इन केन्द्रों में और अधिक सेवाएँ जोड़ने और समय पर उन्नयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है।
मिशन के बाद SPVs की भूमिका: MoHUA की नई एडवाइजरी
भारत सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी संख्या 27 में SPVs और ICCCs की भविष्य की भूमिका और संचालन की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। दो प्रमुख चरणों में इसकी दिशा तय की गई है:
- बकाया परियोजनाओं की पूर्णता और O&M योजनाएँ: SPVs को मिशन की शेष परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने और संपत्तियों की देखरेख हेतु विस्तृत संचालन व रखरखाव योजनाएँ तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
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SPVs को भविष्य के शहरी समाधान केंद्र के रूप में परिवर्तित करना: SPVs की संस्थागत क्षमता का उपयोग निम्नलिखित पाँच प्रमुख क्षेत्रों में करने की योजना है:
- तकनीकी सहयोग: ULBs को साइबर सुरक्षा, डेटा एनालिटिक्स और ICCC संचालन में सहयोग।
- परियोजना कार्यान्वयन: केंद्र व राज्य योजनाओं की एजेंसी के रूप में कार्य, 1.5%–3% कार्यान्वयन शुल्क।
- सलाहकार सेवा: शहरी क्षेत्रों में ULBs व राज्य विभागों को परामर्श।
- अनुसंधान व मूल्यांकन: डेटा आधारित योजना, लॉजिस्टिक्स, और शहरी टेक स्टार्टअप्स का समर्थन।
- निवेश सुविधा: परियोजना संरचना, खरीद प्रक्रिया और विभिन्न स्तरों पर समन्वय।
राज्यों को SPVs के लिए ‘सेंटेज फीस’ नीति तैयार करने को कहा गया है, जिससे उन्हें वित्तीय स्थायित्व और संचालनात्मक स्वायत्तता मिल सके।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्मार्ट सिटीज़ मिशन 2015 में शुरू हुआ और 2025 में समाप्त हो रहा है।
- 100 शहरों में SPVs और ICCCs की स्थापना की गई।
- 8,000+ परियोजनाओं में से 93% पूर्ण, ₹48,000 करोड़ में से 99.44% राशि व्यय।
- एडवाइजरी संख्या 27 में SPVs की भविष्य की दिशा निर्धारित की गई है।
- SPVs को भविष्य में तकनीकी, सलाहकार, कार्यान्वयन और निवेश संबंधी भूमिकाएँ सौंपी जाएँगी।