सेप्सिस की शीघ्र पहचान के लिए NIT कालिकट ने विकसित किया सस्ता और पोर्टेबल बायोसेंसर डिवाइस

सेप्सिस, एक गंभीर संक्रमणजन्य स्थिति है जो समय पर उपचार न मिलने पर अंग विफलता, शॉक और मृत्यु का कारण बन सकती है। इसकी शीघ्र और सटीक पहचान मरीज की जान बचाने में निर्णायक होती है। इसी दिशा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) कालिकट के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक, संवेदनशील, और सस्ता पॉइंट-ऑफ-केयर बायोसेंसर डिवाइस विकसित किया है, जो रोगी के बिस्तर के पास ही सेप्सिस की प्रारंभिक पहचान संभव बना सकता है।

एंडोटॉक्सिन पहचान पर आधारित नवाचार

यह डिवाइस एंडोटॉक्सिन की पहचान करता है — जो कि ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की बाहरी झिल्ली का विषैला घटक होता है और सेप्सिस का प्रमुख बायोमार्कर माना जाता है। एंडोटॉक्सिन की शीघ्र और सटीक पहचान संक्रमण की मौजूदगी का संकेत देती है और चिकित्सकीय हस्तक्षेप की दिशा तय करती है।

इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीक पर आधारित सेंसर

प्रोफेसर एन. संध्यारानी और उनकी टीम ने आठ अलग-अलग सेंसर आर्किटेक्चर विकसित किए हैं, जिनमें से सात इलेक्ट्रोकेमिकल विधि पर आधारित हैं और एक ऑप्टिकल पहचान का उपयोग करता है। इन सभी सेंसरों में नैनोमटेरियल्स — जैसे गोल्ड नैनोक्लस्टर्स, कॉपर ऑक्साइड, MoS2, रिड्यूस्ड ग्रेफीन ऑक्साइड, और कार्बन नैनोट्यूब्स — का उपयोग किया गया है, जिससे सेंसर की संवेदनशीलता कई गुना बढ़ जाती है।

स्मार्टफोन आधारित ऑपरेशन और तीव्र परिणाम

टीम ने एक पोर्टेबल और किफायती डिवाइस का प्रोटोटाइप भी विकसित किया है, जो स्मार्टफोन से नियंत्रित किया जा सकता है। यह डिवाइस रक्त सीरम में एंडोटॉक्सिन की उपस्थिति को केवल 10 मिनट में पहचान सकता है। उपयोगकर्ता इंटरफेस पूरी तरह एंड्रॉयड आधारित है और इसमें डेटा एनालिसिस का ग्राफिकल रेखाचित्र भी उपलब्ध होता है।

बहुउपयोगी और सटीक परीक्षण क्षमता

इस डिवाइस द्वारा दवा (बाइफेसिक इंसुलिन), फलों के रस और संपूर्ण रक्त में भी एंडोटॉक्सिन की सफल पहचान की गई है। मानक विधियों से तुलना में यह डिवाइस अधिक तेज़ और उतना ही सटीक है — सभी परीक्षणों में 2% से कम त्रुटि प्राप्त हुई है। इसके अलावा, दो सेंसर प्लेटफॉर्म्स ई. कोलाई जैसे ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की पानी में उपस्थिति की पहचान में भी सफल रहे हैं, जिससे यह जल गुणवत्ता जांच में भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सेप्सिस के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, उल्टी, दस्त और गंभीर मामलों में अंग विफलता शामिल है।
  • एंडोटॉक्सिन (LPS) ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया का प्रमुख बायोमार्कर है।
  • पॉइंट-ऑफ-केयर (POC) डिवाइस वे होते हैं जो मरीज के पास तुरंत जांच करके परिणाम देते हैं।
  • यह अनुसंधान भारत सरकार के नैनो मिशन (DST) द्वारा समर्थित है और इसमें सात शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
  • इस डिवाइस पर एक भारतीय पेटेंट भी स्वीकृत हो चुका है।

यह नवाचार न केवल सेप्सिस जैसी जानलेवा बीमारी की शीघ्र पहचान को संभव बनाएगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों और सीमित संसाधनों वाले अस्पतालों में भी उपयोगी साबित होगा। इस तरह के विज्ञान-संचालित समाधान भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं।

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