सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर MMRDA ने ₹14,000 करोड़ के ठाणे-भायंदर परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया रद्द की

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर MMRDA ने ₹14,000 करोड़ के ठाणे-भायंदर परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया रद्द की

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने ठाणे-घोड़बंदर से भायंदर तक की सुरंग और एलिवेटेड रोड परियोजनाओं की ₹14,000 करोड़ की निविदा प्रक्रिया को जनहित में रद्द कर दिया है। यह निर्णय लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा दायर याचिका के बाद आया, जिसमें निविदा प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए MMRDA से पुनः निविदा आमंत्रण पर विचार करने को कहा था।

परियोजनाओं का अवलोकन

  1. 5 किमी लंबी जुड़वां सुरंग परियोजना: यह सुरंग गाइमुख (मीरा-भायंदर क्षेत्र) को ठाणे के शिलफाटा जंक्शन से जोड़ेगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹8,000 करोड़ रखी गई थी।
  2. 9.8 किमी लंबा एलिवेटेड क्रीक रोड ब्रिज: यह पुल भायंदर को ठाणे के घोड़बंदर रोड से जोड़ेगा, जिसकी लागत ₹6,000 करोड़ आंकी गई थी।

दोनों परियोजनाएं मुंबई कोस्टल रोड के विस्तार का हिस्सा थीं और क्षेत्र के यातायात को सुगम बनाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही थीं।

विवाद की पृष्ठभूमि

MMRDA ने जुलाई 2024 में इन परियोजनाओं के लिए निविदा आमंत्रित की थी। L&T ने दावा किया कि उसे तकनीकी मूल्यांकन के परिणामों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और बाद में पता चला कि वित्तीय बोलियों की प्रक्रिया में उसका चयन नहीं हुआ। वहीं, हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग को चयनित किया गया, जिसकी बोली L&T की तुलना में लगभग ₹3,100 करोड़ अधिक थी।
L&T ने यह कहते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया कि बोली प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी। हाई कोर्ट ने कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि परियोजनाएं सार्वजनिक महत्व की हैं और इनमें देरी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • MMRDA: मुंबई महानगर क्षेत्र में नियोजन और अधोसंरचना विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख निकाय।
  • अटल सेतु: भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल, जिसकी लंबाई 21.8 किमी है।
  • L&T: देश की अग्रणी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी, जिसने सेंट्रल विस्टा सहित कई राष्ट्रीय परियोजनाएं पूरी की हैं।
  • MEIL: एक प्रमुख अवसंरचना कंपनी, जिसे कई बड़े सरकारी ठेके प्राप्त हुए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट की भूमिका: न्यायालय ने जनहित और सार्वजनिक धन की बचत को प्राथमिकता देते हुए निविदा प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की।

यह निर्णय देश में सार्वजनिक परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है। इससे यह संकेत मिलता है कि भविष्य में भी ऐसी परियोजनाओं में निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, ताकि जनहित को सर्वोपरि रखा जा सके।

Originally written on May 31, 2025 and last modified on May 31, 2025.

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