सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद 8,500 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि की कटौती: वन संरक्षण पर गंभीर प्रश्न

सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, भारत सरकार ने 2025 की पहली छमाही में 8,518.23 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन उपयोग के लिए मंजूरी दी है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के प्रकाश में सामने आया है, जिसमें वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि प्रतिकर वनीकरण (Compensatory Afforestation – CA) का दुरुपयोग हो रहा है।

वन क्षेत्र में कटौती के आंकड़े

  • कुल स्वीकृत वन भूमि (फरवरी से 16 जून 2025 तक): 8,518.23 हेक्टेयर
    • REC द्वारा: 348.96 हेक्टेयर
    • FAC द्वारा: 4,711.91 हेक्टेयर
    • NBWL द्वारा: 3,457.37 हेक्टेयर (राष्ट्रीय उद्यानों और संवेदनशील क्षेत्रों में)

प्रतिकर वनीकरण: दोहरी क्षति?

याचिका में आरोप है कि सरकार CA को अधिसूचित विकृत वन (degraded forests), राजस्व वन (revenue forests) और अपरिभाषित वन (unclassed forests) में कर रही है, जो 1996 के सुप्रीम कोर्ट के गोडावरम आदेश और 2025 के अशोक कुमार शर्मा बनाम भारत सरकार आदेश के अनुसार संरक्षित हैं।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है:

एक ओर अधिसूचित प्राकृतिक वन भूमि को गैर-वन उपयोग में बदलकर नष्ट किया जा रहा है और दूसरी ओर कम जैवविविधता वाले वनों को प्रतिकर वनीकरण के नाम पर फिर से नष्ट किया जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गोडावरम मामला (1996): सुप्रीम कोर्ट ने ‘वन’ की परिभाषा स्पष्ट की थी जिसमें सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किसी भी प्रकार की वन भूमि शामिल है।
  • CA (Compensatory Afforestation): वन कटाई की भरपाई हेतु गैर-वन भूमि पर वन लगाना।
  • CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority): CA हेतु निधि प्रबंधन संस्था।
  • 2023 संशोधन अधिनियम: कई अप्रतिबंधित वनों को FCA से बाहर कर दिया, 1980-1996 के सभी अनियमित डायवर्जन को वैध किया।

प्रमुख परियोजनाएं और उनके प्रभाव

2025 में अब तक जिन परियोजनाओं को वन भूमि कटौती के लिए मंजूरी मिली है, उनमें शामिल हैं:

  • पत्थर और ग्रेनाइट खनन
  • सड़क निर्माण और चौड़ीकरण
  • रेलवे और ट्रांसमिशन अधोसंरचना
  • रक्षा परियोजनाएं (मुख्यतः लद्दाख और सिक्किम में) – कुल 329 हेक्टेयर

आंकड़ों की सच्चाई

  • 2023-24 में कुल डायवर्जन: 28,880 हेक्टेयर
  • 2014-2024 में कुल डायवर्जन (सरकारी उत्तर के अनुसार): 1,73,396.87 हेक्टेयर
  • 2013-2023 में वन कवर में वृद्धि: 16,630 वर्ग किमी (लेकिन 97% गैर-अभिलिखित क्षेत्रों में)
  • इसी अवधि में क्षरित वन क्षेत्र: 92,989 वर्ग किमी

विशेषज्ञों की चेतावनी

एक सेवानिवृत्त वन अधिकारी ने कहा:

“सरकार CA को हरियाली की वृद्धि का प्रतीक बताती है, लेकिन वास्तव में यह प्राकृतिक वनों को नष्ट कर कॉमर्शियल प्लांटेशन को बढ़ावा देने का जरिया बन गया है, जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान हो रहा है।”

निष्कर्ष

भारत का राष्ट्रीय वन नीति लक्ष्य है — मैदानों में 33.3% और पहाड़ियों में 66.6% वन आवरण। लेकिन यदि वर्तमान प्रतिकर वनीकरण की नीति में सुधार नहीं हुआ, तो यह लक्ष्य दूर की बात बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अवहेलना न केवल पर्यावरणीय न्याय को कमजोर करती है, बल्कि आने वाले वर्षों में भारत की पारिस्थितिकी और जलवायु स्थिरता के लिए गंभीर खतरा भी उत्पन्न करती है।

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