सीरिया में गहराता संकट: ड्रूज़-सुन्नी संघर्ष, इज़राइली हस्तक्षेप और राष्ट्रपति शराआ की कठिन राह

सीरिया में गहराता संकट: ड्रूज़-सुन्नी संघर्ष, इज़राइली हस्तक्षेप और राष्ट्रपति शराआ की कठिन राह

सीरिया के दक्षिणी प्रांत स्वेइदा में ड्रूज़ और सुन्नी बेदुइन मिलिशियाओं के बीच हुए भीषण संघर्षों में पिछले सप्ताह में ही 1,000 से अधिक लोग मारे गए। इस संघर्ष ने इज़राइल को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया, जिसने बुधवार को दमिश्क स्थित सीरियाई रक्षा मंत्रालय पर हवाई हमला किया। ये घटनाएं सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ के सामने मौजूद जटिल चुनौतियों को उजागर करती हैं, जो 14 वर्षों से चले आ रहे गृहयुद्ध के बाद देश को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

शराआ की एकता की मुहिम और अल्पसंख्यकों की शंका

राष्ट्रपति बनने के बाद से अहमद अल-शराआ ने देश के विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहों को एक ध्वज के नीचे एकजुट करने का लक्ष्य रखा है। परंतु उनका अतीत – जिसमें वह एक समय अल-कायदा के नेता रहे हैं और अल्पसंख्यकों पर हिंसा के आरोपों से घिरे रहे हैं – उनके प्रयासों में अविश्वास की दीवार बनकर खड़ा है।
तीन प्रमुख समूह – अलावी, कुर्द और ड्रूज़ – उनके प्रयासों के प्रति संदेह और विरोध जताते रहे हैं।

अलावी समुदाय की नाराज़गी

पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन करने वाला प्रमुख समुदाय अलावी, सीरिया के तटीय इलाकों में बसता है। मार्च में सरकारी बलों के साथ हुए संघर्ष में 1,500 से अधिक अलावी नागरिकों की मौत हो गई थी। शराआ ने इसकी जांच की बात कही, पर साथ ही पूर्व शासन समर्थकों को हिंसा के लिए दोषी ठहराया और उन्हें आत्मसमर्पण की चेतावनी दी।

कुर्द मुद्दा और अर्ध-स्वायत्तता

सीरिया के उत्तर-पूर्वी तेल-समृद्ध क्षेत्रों में बसे कुर्दों को 2012 में असद शासन से एक अर्ध-स्वायत्त प्रशासनिक अधिकार मिला था। लेकिन शराआ की मंशा इस क्षेत्र को दमिश्क के सीधे नियंत्रण में लाने की रही है। इसके चलते सीरियाई सेना और SDF (सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज़) के बीच संघर्ष हुआ। मार्च में एक अस्थायी समझौता हुआ, परंतु अंतरिम संविधान में कुर्द अधिकारों की अनदेखी को ‘विश्वासघात’ माना गया।

ड्रूज़ समुदाय, इज़राइली समर्थन और रणनीतिक संकट

स्वेइदा प्रांत में बसे 5 लाख से अधिक ड्रूज़ समुदाय के लोग अंतरिम संविधान का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे उनकी मिलिशियाओं का निरस्त्रीकरण और स्वायत्त शासन का अंत हो जाएगा। इज़राइल, जहां 1.5 लाख ड्रूज़ रहते हैं, इस समुदाय के समर्थन में खुलकर सामने आया है। इज़राइली हवाई हमले और गोलन हाइट्स क्षेत्र में सैन्य विस्तार, सीरियाई संप्रभुता पर सीधा हमला हैं।
शराआ हालांकि इज़राइल के खिलाफ सीधे टकराव से बच रहे हैं और मई में उन्होंने बताया कि इज़राइल से परोक्ष रूप से बातचीत भी चल रही है, ताकि वह सीरियाई मामलों में हस्तक्षेप से पीछे हटे। यह उनकी रणनीतिक विवशता का भी संकेत है, क्योंकि देश आंतरिक रूप से अस्थिर और सैन्य रूप से कमजोर है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्वेइदा प्रांत सीरिया के दक्षिण में स्थित है, जहां अधिकांश ड्रूज़ समुदाय रहता है।
  • गोलन हाइट्स पर इज़राइल का कब्ज़ा 1967 के युद्ध के बाद से चला आ रहा है, जिसे सीरिया अवैध मानता है।
  • सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ (SDF) मुख्य रूप से कुर्दों की सेना है, जो रोजनवा प्रशासन की सुरक्षा करती है।
  • अलावी समुदाय सीरिया की कुल आबादी का लगभग 11-12% है और पूर्व राष्ट्रपति असद इसी समुदाय से थे।

सीरिया की राजनीतिक संरचना आज भी जातीय और सांप्रदायिक विभाजनों से बंटी हुई है। राष्ट्रपति शराआ की राष्ट्रीय एकता की कोशिशें बाहरी दबावों, विशेषकर इज़राइली हस्तक्षेप और अल्पसंख्यकों की आशंकाओं के बीच झूल रही हैं। जब तक इन गहरे मतभेदों को संवैधानिक और सामाजिक रूप से नहीं सुलझाया जाता, तब तक सीरिया की स्थिरता एक दूर का सपना बनी रहेगी।

Originally written on July 23, 2025 and last modified on July 23, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *