सीरिया के स्वैदा में ड्रूज़ और बदूई जनजातियों के बीच खूनी संघर्ष: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान संकट

सीरिया के स्वैदा में ड्रूज़ और बदूई जनजातियों के बीच खूनी संघर्ष: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान संकट

सीरिया के दक्षिणी शहर स्वैदा में ड्रूज़ अल्पसंख्यक और सुन्नी बदूई जनजातियों के बीच एक सप्ताह से जारी हिंसक संघर्ष में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। गोलाबारी और मोर्टार हमलों से शहर कांप उठा है, जबकि सरकार द्वारा लागू किया गया संघर्षविराम असफल साबित हुआ है। यह संघर्ष केवल वर्तमान परिस्थितियों का परिणाम नहीं, बल्कि सदियों पुरानी सांस्कृतिक और राजनीतिक जटिलताओं का विस्फोट है।

कौन हैं बदूई और उनका इतिहास

बदूई समुदाय अरबी-भाषी घुमंतू जनजातियाँ हैं, जो सदियों से मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानों में रहती आई हैं। “बदूई” शब्द का अर्थ होता है “रेगिस्तानवासी”। सीरिया में ये लोग मुख्यतः अल-बादिया रेगिस्तान में रहते हैं, जो स्वैदा, होम्स और देइर एज़-ज़ोर जैसे प्रांतों में फैला है।
इनकी प्रमुख जनजातियों में अनीज़्ज़ाह परिसंघ की रुवल्लाह शामिल है। 18वीं सदी में ये लोग अरब प्रायद्वीप से उत्तर की ओर प्रवास कर आए थे। राजनैतिक शक्ति से भले ही वे दूर रहे हों, लेकिन चरागाहों और व्यापार मार्गों पर इनका प्रभाव व्यापक रहा है।

ड्रूज़ और बदूई: साझा इतिहास और टकराव

ड्रूज़ समुदाय 17वीं और 18वीं सदी में स्वैदा क्षेत्र में बसा। प्रारंभ में बदूई और ड्रूज़ समुदायों के बीच व्यापार, पशुपालन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से मजबूत संबंध बने। बदूई घोड़े, नमक और श्रम प्रदान करते थे, जबकि ड्रूज़ बाजार, पानी और सामाजिक संरचना में भागीदारी देते थे।
हालाँकि, यह संबंध सदैव शांतिपूर्ण नहीं रहा। 1950 के दशक में राष्ट्रपति अदीब शिशकली ने ड्रूज़ों पर दमन करते हुए बदूई जनजातियों को उन पर हमला करने के लिए उकसाया। 2000 में एक भूमि विवाद में ड्रूज़ युवक की हत्या के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए और सरकारी बलों ने गोलीबारी की।
इतिहास में ऐसे भी क्षण रहे जब दोनों समुदायों ने साथ लड़ाई लड़ी — जैसे 1920 के दशक में फ्रांसीसी शासन के विरुद्ध “ग्रेट सीरियन विद्रोह” में।

वर्तमान संघर्ष: कैसे शुरू हुआ?

13 जुलाई को एक अस्थायी चौकी पर झगड़े के बाद, जिसमें एक बदूई युवक ने एक ड्रूज़ सब्ज़ी विक्रेता पर हमला किया, हालात तेजी से बिगड़ गए। बदले की भावना में अपहरण और सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गए, और दोनों पक्षों के सशस्त्र गुट इसमें शामिल हो गए।
बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद, अमेरिकी समर्थित अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ की सरकार ने सभी स्थानीय मिलिशियाओं को भंग करने का आदेश दिया। ड्रूज़ गुटों ने इसका विरोध किया, जबकि कुछ बदूई गुट सरकार के साथ आ खड़े हुए। जब सरकार ने सेना भेजकर संघर्षविराम लागू करने की कोशिश की, तो ड्रूज़ों ने उन पर पक्षपात और अत्याचार का आरोप लगाया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्वैदा शहर सीरिया का ड्रूज़ बहुल क्षेत्र है, जहां हालिया हिंसा में 300+ लोगों की जान गई।
  • बदूई समुदाय पारंपरिक रूप से सीरिया के अल-बादिया रेगिस्तान में बसा है।
  • 1950 के दशक में अदीब शिशकली शासन ने ड्रूज़ों के विरुद्ध बदूई हमलों को बढ़ावा दिया।
  • 1920 के दशक में ड्रूज़ और बदूई गुटों ने फ्रांसीसी शासन के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी थी।

निष्कर्ष

सीरिया का यह संकट केवल एक स्थानीय जातीय संघर्ष नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता, ऐतिहासिक तनाव और सत्ता के रिक्त स्थानों का परिणाम है। ड्रूज़ों और बदूई जनजातियों के बीच का यह टकराव एक बार फिर साबित करता है कि सामाजिक संतुलन टूटने पर पुरानी दरारें कैसे विस्फोटक रूप ले सकती हैं। क्षेत्रीय शक्तियाँ जैसे इज़राइल भी इस संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, जिससे स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है। समाधान के लिए निष्पक्ष मध्यस्थता और दीर्घकालिक सामाजिक समझ आवश्यक है।

Originally written on July 22, 2025 and last modified on July 22, 2025.

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