सांप बचाव या मौत का खेल: सोशल मीडिया की सनक और असली खतरा

मध्य प्रदेश के गुना ज़िले के दीपक महावर का वीडियो, जिसमें वे एक ज़िंदा कोबरा को गले में डालकर बाइक चला रहे थे, 14 जुलाई को वायरल हुआ। लेकिन उसी दिन सांप के डसने से उनकी मौत हो गई। यह घटना कोई अपवाद नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर “सांप बचाव” के नाम पर हो रहे खतरनाक करतबों ने अनेक लोगों की जान ली है। यह प्रवृत्ति अब एक गंभीर सामाजिक और वन्यजीव संरक्षण संकट का रूप ले चुकी है।

वायरल वीडियो की कीमत: ज़िंदगी

दीपक महावर जैसे अनेक ‘सांप मित्र’ या ‘रेस्क्यू विशेषज्ञ’ अपनी जान जोखिम में डालकर सोशल मीडिया की शोहरत पाने की होड़ में लगे रहते हैं। बिहार के वैशाली में 6 जुलाई को जे पी यादव की मौत कोबरा के डसने से हुई। मई में समस्तीपुर के जय कुमार साहनी, मार्च में तमिलनाडु के संतोष कुमार और पिछले साल अगस्त में के. मुरली की मौत जैसे कई उदाहरण दर्शाते हैं कि यह कोई इक्का-दुक्का घटनाएं नहीं हैं।
इन घटनाओं में सबसे चौंकाने वाली थी राजस्थान के मनीष वैष्णव की मौत, जो 2021 में फेसबुक लाइव के दौरान सांप से डसने के बाद अस्पताल ले जाते समय रास्ते में चल बसे।

प्रसिद्धि का शॉर्टकट बनता ‘सांप बचाव’

भारत में सांपों के प्रति गहरी घृणा और भय है, लेकिन उन्हें पकड़ने वाले लोगों के प्रति एक तरह का सम्मोहन भी देखा जाता है। यह संस्कृति सोशल मीडिया की ताकत के साथ मिलकर एक “सांप-स्टार” निर्माण उद्योग बन गई है। उत्तर प्रदेश के मुरलीवाले हौसला के यूट्यूब पर 1.6 करोड़ और इंस्टाग्राम पर 36 लाख फॉलोअर्स हैं। छत्तीसगढ़ के कमल चौधरी से लेकर कर्नाटक के ‘स्नेक हरिहा’ तक, इस क्षेत्र में एक प्रतिस्पर्धा बनी हुई है।
लेकिन इस शोहरत की दौड़ में अक्सर वन्यजीव संरक्षण और सुरक्षा की अनदेखी की जाती है। जानबूझकर सांपों को उत्तेजित करना, झूठे बचाव दिखाना और उन्हें एक साथ रखना (जैसे कोबरा और चूहे वाला सांप) सीधे तौर पर वन्यजीव अधिनियम का उल्लंघन है।

नियमन की कमी और राज्य सरकारों की भूमिका

भारत में केवल कुछ राज्य ही सांप बचाव की प्रक्रिया को नियमबद्ध करने में सक्षम हुए हैं। महाराष्ट्र ने 2018 में, केरल ने 2020 में, गुजरात, कर्नाटक और ओडिशा ने क्रमशः बाद के वर्षों में मान्यता और प्रशिक्षण की अनिवार्यता लागू की। परंतु इन नियमों का पालन केवल केरल में ‘SARPA ऐप’ जैसी तकनीकी प्रणाली के कारण प्रभावी हुआ है। बाकी राज्यों में आज भी स्व-घोषित रेस्क्यूअर बिना प्रशिक्षण के सक्रिय हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में हर साल लगभग 40,000 से 50,000 लोग सांप के डसने से मरते हैं।
  • भारत के चार सबसे विषैले सांप हैं: कोबरा (Naja naja), करैत (Bungarus caeruleus), रसेल वाइपर (Daboia russelii) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (Echis carinatus) — जिन्हें ‘बिग फोर’ कहा जाता है।
  • रसेल वाइपर सबसे खतरनाक और अनियमित व्यवहार वाला सांप माना जाता है।
  • कोबरा डसने से पहले फन सिकुड़ता है, जबकि करैत आमतौर पर शांत रहता है और दिन में निष्क्रिय होता है।

जिम्मेदार बचाव और समाधान

सही तरीके से सांप को बचाने के लिए हुक और पाइप वाला बोरा पर्याप्त होते हैं, जिससे सांप बिना छुए सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जा सकता है। किसी भी प्रकार का प्रदर्शन, वीडियो बनाना या सोशल मीडिया पर डालना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि खतरनाक भी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त जुर्माने और सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो पर प्रतिबंध से इस प्रवृत्ति को रोका जा सकता है। यह ज़रूरी है कि केवल प्रशिक्षित, प्रमाणित और गंभीर बचावकर्ता ही इस जिम्मेदारी को निभाएं। क्योंकि यह न केवल उनकी अपनी जान का सवाल है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और समाज की सुरक्षा का भी मामला है।

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