समोसा, पकोड़ा और जलेबी की मिठास में छिपा खतरा: स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब लोकप्रिय भारतीय नाश्तों में छिपे वसा, चीनी और ट्रांस-फैट की मात्रा को उजागर करने की दिशा में कदम उठाया है। इसके तहत सभी सरकारी कार्यालयों, कैफेटेरियाओं, लॉबी और मीटिंग रूम्स में अब समोसा, पकोड़ा, चाय-बिस्कुट, जलेबी जैसे खाद्य पदार्थों में मौजूद तेल, चीनी और ट्रांस-फैट की जानकारी वाले बोर्ड लगाए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य बढ़ती जीवनशैली संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूकता लाना और नागरिकों को संतुलित खानपान के लिए प्रेरित करना है।
‘शुगर और ऑयल बोर्ड’ से व्यवहारिक बदलाव की कोशिश
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव द्वारा हाल ही में सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त संस्थानों को भेजे गए पत्र में बताया गया कि ‘शुगर और ऑयल बोर्ड’ पहल के तहत आम खाद्य पदार्थों में छिपे वसा और शक्कर की मात्रा की जानकारी दी जाएगी। यह पहल स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक संस्थानों में जागरूकता के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।
AIIMS नागपुर को इस अभियान का पायलट केंद्र बनाया गया है, जहां अब हर खाद्य स्टॉल के पास कैलोरी काउंट और उससे जुड़ी स्वास्थ्य चेतावनियों के पोस्टर लगाए जाएंगे। इन चेतावनियों में यह बताया जाएगा कि लगातार इन खाद्य पदार्थों का सेवन किन दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकता है।
कार्यस्थलों में भी सेहतमंद बदलाव
सरकारी विभागों से कहा गया है कि वे सभी आधिकारिक दस्तावेजों और प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संबंधी संदेश छापें और कार्यालयों में स्वस्थ भोजन तथा व्यायाम को प्रोत्साहित करें। इसके तहत अधिक फल, सब्जियां, कम वसा वाले विकल्प और शक्कर रहित पेय प्रदान करने की सिफारिश की गई है। साथ ही, सीढ़ियों के उपयोग, लघु व्यायाम ब्रेक और वॉकिंग रूट्स जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- एक हालिया लैंसेट अध्ययन के अनुसार, 2050 तक भारत में लगभग 45 करोड़ लोग अधिक वजन या मोटापे का शिकार हो सकते हैं।
- WHO के अनुसार, वर्तमान में अधिकांश लोग ऐसे खाद्य वातावरण में रह रहे हैं जहाँ अत्यधिक प्रोसेस्ड, वसा और चीनी युक्त खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध और सस्ते हैं।
- अस्वस्थ खानपान अब वैश्विक स्तर पर प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों में से एक बन चुका है, जो मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों को बढ़ा रहा है।
- ट्रांस-फैट का अत्यधिक सेवन हृदय रोग और उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए जिम्मेदार होता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की यह पहल केवल रोकथाम नहीं, बल्कि समझदारी भरे विकल्प चुनने की दिशा में एक प्रेरक प्रयास है। समोसा या जलेबी खाना गलत नहीं, लेकिन यह जानना जरूरी है कि उसमें क्या है और वह शरीर को कैसे प्रभावित करता है। यदि इस जागरूकता अभियान को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए, तो यह भारत में जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम में एक अहम कदम साबित हो सकता है।