संसद समिति की केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी: NIRD&PR को मंत्रालय से अलग करने का निर्णय अनुचित

संसद की ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति ने केंद्र सरकार की उस योजना की तीखी आलोचना की है जिसमें हैदराबाद स्थित सात दशक पुराने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (NIRD&PR) को ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) से अलग करने की बात कही गई है। समिति के अध्यक्ष साप्तगिरी शंकर उल्का के नेतृत्व में तैयार की गई 35 पृष्ठों की 10वीं रिपोर्ट मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई, जिसमें सरकार के इस कदम को न केवल प्रशासनिक बदलाव बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से विमुख होने के रूप में देखा गया है।
राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से विचलन का संकेत
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि MoRD के अधीन रहकर NIRD&PR ने ग्रामीण विकास के क्षेत्र में वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। विशेषज्ञ फैकल्टी, उन्नत अधोसंरचना और व्यापक पहुंच के साथ इस संस्थान ने पंचायती राज प्रतिनिधियों, सामुदायिक संगठनों और अन्य कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई है। ऐसे संस्थान को अचानक मंत्रालय से अलग करना उसकी साख और नीति-निर्माण में भूमिका को कमजोर करेगा।
न्यूनतम सरकार के नाम पर संस्थान की अनदेखी
समिति ने ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के नाम पर लिए गए इस निर्णय की भी आलोचना की और कहा कि यह विचार NIRD&PR जैसे राष्ट्रीय संपत्ति को अनदेखा करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे संस्थान पर वित्तीय अस्थिरता का खतरा बढ़ेगा और वह ग्रामीण विकास की प्रमुख योजनाओं से दूर हो सकता है।
आंतरिक समीक्षा का अभाव और फैकल्टी का मनोबल
समिति ने पाया कि इस निर्णय को न तो आंतरिक रूप से समीक्षा की गई और न ही बाहरी विशेषज्ञों से मान्यता प्राप्त की गई, जिससे यह केवल कुछ व्यक्तियों की व्यक्तिगत सोच लगती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि संसाधनों की कटौती के नाम पर संस्थान की अधोसंरचना उपेक्षित रही है, जिससे प्रशिक्षण गुणवत्ता में गिरावट आई है। इसके साथ ही फैकल्टी के मनोबल में भारी कमी आई है, जो लंबित प्रोन्नति, मनमाने तबादले और नेतृत्व की असफलता के कारण है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NIRD&PR की स्थापना 1958 में हुई थी और यह ग्रामीण विकास में प्रशिक्षण एवं अनुसंधान का प्रमुख केंद्र रहा है।
- संस्थान पंचायती राज, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण रोजगार और जल प्रबंधन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण देता है।
- MoRD के अंतर्गत आने वाले इस संस्थान को FAO, UNDP जैसे वैश्विक संगठनों से भी सहयोग प्राप्त होता है।
- समिति की रिपोर्ट संसद की प्रक्रिया के तहत सरकार को सुझाव देती है, जिसे लागू करने की बाध्यता नहीं होती, परंतु उसका राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व होता है।
समिति की सिफारिशें
समिति ने MoRD से आग्रह किया है कि वह तत्काल एक उच्चस्तरीय समिति गठित करे जो संस्थान के 19 प्रशासनिक और संचालन संबंधी मुद्दों की निगरानी करे। इसके साथ ही वर्तमान प्रशासन को हटाकर नए नेतृत्व की नियुक्ति की मांग की गई है, ताकि संस्थान को फिर से स्थायित्व और दिशा मिल सके। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, सरकार द्वारा पूर्व में जारी की गई सहायता को जारी रखने की भी सिफारिश की गई है।
इस प्रकार, संसद समिति की इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि NIRD&PR जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को कमजोर करना न केवल नीति निर्माण के लिहाज से हानिकारक है, बल्कि यह ग्रामीण भारत की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। सरकार को इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में संतुलित और दूरदर्शी कदम उठाने की आवश्यकता है।