संसद ने पारित किया बिल ऑफ लेडिंग विधेयक 2025: शिपिंग दस्तावेजों के कानूनी ढांचे में ऐतिहासिक सुधार

भारत की संसद ने बिल ऑफ लेडिंग विधेयक, 2025 को पारित कर दिया है, जिसका उद्देश्य शिपिंग दस्तावेजों के कानूनी ढांचे को अद्यतन और सरल बनाना है। यह नया कानून 1856 के पुराने “इंडियन बिल ऑफ लेडिंग एक्ट” की जगह लेगा, और इसे अब “बिल ऑफ लेडिंग एक्ट, 2025” कहा जाएगा।
बिल ऑफ लेडिंग क्या है?
बिल ऑफ लेडिंग एक कानूनी दस्तावेज होता है जो मालवाहक कंपनी द्वारा प्रेषक (shipper) को जारी किया जाता है। इसमें शिप किए जा रहे माल का प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य स्थान जैसी महत्वपूर्ण जानकारी होती है। यह दस्तावेज न केवल माल के हस्तांतरण का प्रमाण होता है, बल्कि एक अनुबंध और रसीद के रूप में भी कार्य करता है।
नए विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ
- यह विधेयक बिल ऑफ लेडिंग से जुड़े अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट करता है, विशेष रूप से जब माल किसी नामित प्राप्तकर्ता (consignee) या किसी भी इंडोर्सी (endorsee) को सौंपा जाता है।
- अब बिल ऑफ लेडिंग के अंतर्गत माल के स्वामित्व के साथ सभी संबंधित कानूनी अधिकार और दायित्व हस्तांतरित माने जाएंगे।
- विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति को बिल ऑफ लेडिंग इंडोर्स किया जाता है, तो वह व्यक्ति सभी दायित्वों और मुकदमेबाजी के अधिकारों का उत्तराधिकारी होगा।
संसदीय बहस और चिंताएँ
राज्यसभा में बिल को विपक्ष की अनुपस्थिति में ध्वनि मत से पारित किया गया, क्योंकि उन्होंने पोस्ट-लंच सत्र में वॉकआउट किया। हालांकि, बहस के दौरान बीजेडी सांसद निरंजन बिशी ने बिल के सेक्शन 4(1) पर आपत्ति जताई, जिसमें यह प्रावधान है कि माल का शिपमेंट न होने पर भी बिल ऑफ लेडिंग वैध माना जा सकता है। उन्होंने इसे संभावित धोखाधड़ी, फर्जी लेन-देन और हवाला जैसे अपराधों की आशंका के रूप में देखा।
इलेक्ट्रॉनिक बिल ऑफ लेडिंग और भविष्य की योजना
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रॉनिक बिल ऑफ लेडिंग (e-BL) केवल एक डिजिटल संस्करण नहीं है, बल्कि इसके लिए अलग कानूनी ढांचे की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में e-BL को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन भविष्य में इसके लिए अलग कानून लाया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बिल ऑफ लेडिंग विधेयक, 2025 ने 1856 के पुराने कानून को प्रतिस्थापित किया है।
- इसे संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित किया गया।
- e-BL को वर्तमान कानून में शामिल नहीं किया गया है, बल्कि इसके लिए अलग फ्रेमवर्क प्रस्तावित है।
- विधेयक में प्रावधान है कि माल की वास्तविक शिपमेंट न होने पर भी बिल ऑफ लेडिंग वैध हो सकता है।
निष्कर्ष
बिल ऑफ लेडिंग विधेयक, 2025 भारत के समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिए एक बड़ा सुधार है। यह न केवल कानूनी स्पष्टता प्रदान करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानकों के अनुरूप एक आधुनिक कानूनी ढांचा स्थापित करता है। हालांकि, इसमें शामिल कुछ प्रावधानों पर सावधानीपूर्वक निगरानी और व्याख्या आवश्यक होगी ताकि पारदर्शिता, सुरक्षा और व्यापारिक जवाबदेही बनी रहे।