संयुक्त राष्ट्र के ट्रांस फैट प्रतिबंध प्रस्ताव पर विशेषज्ञों की चेतावनी: पोषण सुरक्षा पर संकट?

10 जुलाई 2025 को 100 से अधिक विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने एक खुला पत्र जारी कर संयुक्त राष्ट्र के आगामी गैर-संचारी रोगों (NCDs) पर राजनीतिक घोषणापत्र के मसौदे में प्रस्तावित ट्रांस फैट प्रतिबंध को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उनका मानना है कि यह प्रतिबंध विकासशील देशों में पोषण को नुकसान पहुँचा सकता है।
प्रस्तावित प्रतिबंध और उसकी चिंताएँ
मसौदे में ट्रांस फैटी एसिड्स को “पूर्णतः समाप्त” करने की बात कही गई है — एकमात्र खाद्य घटक जिसे समाप्त करने की सिफारिश की गई है, जबकि तंबाकू, अल्कोहल और शुगर जैसे अन्य हानिकारक तत्वों को केवल “कम करने” की बात है।
विशेषज्ञों का तर्क है कि इसमें दो तरह के ट्रांस फैट्स — औद्योगिक और प्राकृतिक — के बीच कोई स्पष्ट भेद नहीं किया गया है। औद्योगिक ट्रांस फैट्स (जैसे वनस्पति घी) हृदय रोगों से जुड़े हैं, परंतु जानवरों से प्राप्त प्राकृतिक ट्रांस फैट्स (दूध, मांस आदि में पाए जाते हैं) के नुकसान पर वैज्ञानिक प्रमाण बहुत सीमित हैं, और कुछ अध्ययन तो इन्हें लाभदायक भी बताते हैं।
विकासशील देशों में प्रभाव
खुले पत्र में कहा गया है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में पोषण की समस्या पहले से ही गंभीर है। वहाँ दूध और मांस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर पशु-उत्पत्ति वाले खाद्य पदार्थ पहले ही कम खाए जाते हैं। ऐसे में एक सार्वभौमिक प्रतिबंध इनकी खपत और कम कर सकता है, जिससे कुपोषण और बढ़ सकता है।
पत्र में उदाहरण दिया गया:
“कुछ देशों में वार्षिक दूध खपत मात्र 1 किलोग्राम है। वहीं एक गिलास दूध प्रतिदिन पीने वाले बच्चों की लंबाई औसतन 3% अधिक पाई गई है।”
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ट्रांस फैटी एसिड्स (TFAs): दो प्रकार — औद्योगिक (आंशिक हाइड्रोजनीकरण) और प्राकृतिक (रूमिनेंट पशुओं से प्राप्त)।
- UN NCD Political Declaration (2025): 25 सितंबर को प्रस्तावित उच्चस्तरीय महासभा में पारित होने की संभावना।
- खुले पत्र के संयोजक: इंटरनेशनल लाइवस्टॉक रिसर्च इंस्टिट्यूट, नैरोबी।
- समर्थक संस्थाएँ: अफ्रीकी संघ, ग्लोबल डेयरी प्लेटफॉर्म, नाइजीरिया की फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ लाइवस्टॉक डेवलपमेंट, UN खाद्य सुरक्षा समिति के विशेषज्ञ आदि।
सुझाव और आग्रह
पत्र में यूएन से अनुरोध किया गया है कि:
- “ट्रांस फैट” के स्थान पर “औद्योगिक ट्रांस फैट” को ही प्रतिबंधित किया जाए।
- पोषण विविधता को बढ़ावा दिया जाए न कि अत्यधिक पोषक पदार्थों को हतोत्साहित किया जाए।
- स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने हेतु वैज्ञानिक साक्ष्यों और स्थानीय पोषण आवश्यकताओं का संतुलन रखा जाए।
निष्कर्ष
ट्रांस फैट्स पर नियंत्रण के प्रयास वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, परंतु यह जरूरी है कि नीति में वैज्ञानिक संतुलन और भौगोलिक विविधता का ध्यान रखा जाए। एकसमान प्रतिबंध, विशेष रूप से विकासशील देशों में, अनजाने में कुपोषण और पोषण संकट को गहरा सकता है। अतः आने वाली यूएन घोषणा में इस मुद्दे पर पुनर्विचार आवश्यक है ताकि वैश्विक स्वास्थ्य और पोषण के लक्ष्यों में संतुलन बना रहे।