संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट: सूखा और भूमि क्षरण से स्वास्थ्य पर गंभीर असर

जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई नीति रिपोर्ट “Health Impacts of Land Degradation and Drought” ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि भूमि क्षरण और सूखा न केवल पर्यावरणीय संकट हैं, बल्कि वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप भी ले चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन पारिस्थितिक आपदाओं के कारण हजारों लोग बीमारियों, मानसिक तनाव, और पोषण संकट से जूझ रहे हैं।

प्रमुख स्वास्थ्य प्रभाव

  • जलजनित रोग: जैसे हैजा (cholera), जो सूखे के समय दूषित जल के कारण फैलते हैं।
  • मच्छर जनित रोग: जैसे मलेरिया, जो बदलते आवासों में मच्छरों की वृद्धि से बढ़ते हैं।
  • हृदय रोग और उच्च रक्तचाप: भूमि क्षरण और खाद्य असुरक्षा से तनाव बढ़ने के कारण।
  • श्वसन रोग: रेत/धूल भरी आंधियों और जंगलों में आग लगने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ।
  • त्वचा और नेत्र रोग: जैसे ट्रेकोमा, स्केबीज और कंजंक्टिवाइटिस, विशेषकर जल संकट के समय।
  • मानसिक स्वास्थ्य पर असर: विस्थापन, फसल हानि और संसाधनों की कमी के कारण चिंता और अवसाद।

सबसे अधिक प्रभावित समूह

  • पांच साल से कम उम्र के बच्चे: कुपोषण और बौनेपन की दर उन क्षेत्रों में अधिक है जहां शुष्कता का सूचकांक (Aridity Index) उच्च है।
  • गर्भवती महिलाएं और माताएं: खाद्य मूल्य बढ़ने के कारण पोषक तत्वों की कमी से नवजातों में विकास रुकता है।
  • ग्रामीण समुदाय: ऑस्ट्रेलिया से लेकर अफ्रीका और भारत तक, किसान वर्ग वित्तीय संकट और सामाजिक अलगाव से जूझ रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • $198 बिलियन: सूखे के कारण मानसिक तनाव से होने वाले अनुमानित स्वास्थ्य खर्च (2050 तक)।
  • India’s Farmers’ Distress Index (FDI): एक पूर्व चेतावनी प्रणाली जो तीन महीने पहले किसान संकट के संकेत दे सकती है।
  • UNCCD: संयुक्त राष्ट्र का वह निकाय जो मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिए काम करता है।

संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख सिफारिशें

  • एकीकृत नीतियाँ: स्वास्थ्य, जल, कृषि, और पारिस्थितिकी के बीच समन्वित योजना।
  • लिंग समानता और सामुदायिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
  • “One Health” दृष्टिकोण को अपनाना: पारिस्थितिकी, पशु और मानव स्वास्थ्य के बीच संबंध पर ज़ोर।
  • नवाचारी वित्तीय समर्थन और स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए लक्षित फंडिंग।
  • जल संरक्षण, भूमि पुनर्स्थापन, सतत कृषि और पूर्व चेतावनी प्रणाली पर ज़ोर।

निष्कर्ष

यह नीति रिपोर्ट एक स्पष्ट संदेश देती है: भूमि क्षरण और सूखा अब केवल पारिस्थितिकी की चुनौती नहीं हैं, बल्कि स्वास्थ्य, पोषण और मानसिक स्थिरता की वैश्विक समस्या बन चुके हैं। यदि देशों ने इन मुद्दों को संयुक्त और समन्वित नीति के साथ नहीं सुलझाया, तो यह संकट निकट भविष्य में और भी गहरा होगा। संयुक्त राष्ट्र का आह्वान है कि अब समय आ गया है कि हम भूमि और जीवन के बीच के संबंध को समझें और उसकी रक्षा करें

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