शरावती घाटी में 2,000 मेगावाट परियोजना को मिली सैद्धांतिक मंजूरी: संकट में शेर-पूंछ बंदरों का निवास?

26 जून 2025 को, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) की स्थायी समिति ने कर्नाटक की शरावती घाटी लायन-टेल्ड मैकाक वन्यजीव अभयारण्य में 142.76 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। यह मंजूरी शरावती पम्प्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए दी गई है, लेकिन विशेषज्ञों और वन्यजीव संस्थानों ने गंभीर पारिस्थितिकीय और व्यवहार्यता चिंताओं को उठाया है।
परियोजना के मुख्य तथ्य
- परियोजना नाम: शरावती पम्प्ड स्टोरेज परियोजना (2,000 मेगावाट)
- क्रियान्वयन एजेंसी: कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- स्थान: शिवमोग्गा और उत्तर कन्नड़ जिलों में
- डायवर्जन क्षेत्र: 142.76 हेक्टेयर, जिसमें से 39.72 हेक्टेयर इको-सेंसिटिव ज़ोन से
- प्रभावित संरक्षित क्षेत्र: शरावती घाटी अभयारण्य (पश्चिमी घाट का हिस्सा, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
परियोजना का उद्देश्य और दलील
- परियोजना मौजूदा तलकलेले और गेरसोप्पा जलाशयों का उपयोग करेगी — कोई नया बांध नहीं बनेगा।
- दिन के समय सौर ऊर्जा से पानी ऊपर पंप किया जाएगा और शाम को बिजली उत्पादन हेतु नीचे छोड़ा जाएगा।
- चिपफ वाइल्डलाइफ वार्डन का दावा: “यह हरित परियोजना है, पारिस्थितिकीय प्रभाव सीमित रहेगा।”
उठे पर्यावरणीय प्रश्न
- 15,000 पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है, मुख्यतः सड़क निर्माण व पाइप लाइन के लिए।
- परियोजना से लायन-टेल्ड मैकाक (लगभग 700 संख्या — सबसे बड़ा संरक्षण समूह) के आवास पर खतरा है।
- WII निदेशक ने उल्लेख किया कि यह यूनेस्को विरासत स्थल है — अधिक सतर्कता आवश्यक।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लायन-टेल्ड मैकाक: केवल दक्षिण भारत में पाया जाने वाला संकटग्रस्त बंदर; IUCN के अनुसार, केवल ~2,500 शेष।
- पम्प्ड स्टोरेज प्रौद्योगिकी: नीचे से ऊपर पानी पंप कर विद्युत उत्पादन करना — इसमें ऊर्जा की हानि होती है।
- NBWL (स्थायी समिति): भारत सरकार का वन्यजीव संरक्षण हेतु सर्वोच्च निर्णयात्मक निकाय।
- वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980: वन भूमि डायवर्जन के लिए अनिवार्य अनुमति कानून।
समिति के अंदर की बहस
- एच.एस. सिंह (सदस्य): परियोजना आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं; पहले वन अधिनियम के अंतर्गत अनुमति प्राप्त की जाए।
- रमन सुकुमार (सदस्य): परियोजना प्रस्ताव में पारिस्थितिक नुकसान की विस्तृत जानकारी नहीं है — समग्र पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) जरूरी।
निर्णय और आगे की प्रक्रिया
- अभी यह सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी है; अंतिम मंजूरी तब दी जाएगी जब वन अधिनियम के अंतर्गत स्वीकृति मिलेगी।
- अतिरिक्त शर्तें और विशेषज्ञ समिति द्वारा निरीक्षण की सिफारिश की गई है।
निष्कर्ष
यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक हरित विकल्प प्रतीत होती है, लेकिन भारत की जैव विविधता के लिए अति-महत्वपूर्ण शरावती घाटी में हस्तक्षेप कई गंभीर प्रश्न खड़े करता है। सैद्धांतिक स्वीकृति के बावजूद, यह आवश्यक है कि वन्यजीव, पर्यावरण और स्थानीय समुदायों की राय और वैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाए। भारत की विकास नीति को संरक्षण और नवाचार के संतुलन से ही दिशा मिल सकती है।