वैश्विक दक्षिण में भारत की विकास साझेदारी: त्रिपक्षीय सहयोग और वित्तीय रणनीतियों की नई दिशा

भारत की विकास सहयोग नीतियाँ पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। 2010-11 में जहां यह सहयोग लगभग $3 बिलियन था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर $7 बिलियन तक पहुँच गया है। भारत की यह रणनीति अब केवल परंपरागत लोन आधारित समर्थन तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि इसमें तकनीकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण, शुल्क-मुक्त व्यापार पहुंच, अनुदान और त्रिपक्षीय सहयोग जैसे विविध रूप शामिल हो गए हैं।
विकास सहयोग की पाँच प्रमुख रूपरेखाएँ
- क्षमता निर्माण (Capacity Building)
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer)
- बाजार पहुंच (Market Access)
- अनुदान (Grants)
- सहायता आधारित ऋण (Concessional Finance / LoC)
भारत सरकार अब इन सभी माध्यमों के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में तीसरे “Voice of Global South” सम्मेलन में Global Development Compact (GDC) की परिकल्पना प्रस्तुत की, जिसमें विकास के इन माध्यमों के सामंजस्य की बात की गई।
बदलते वैश्विक परिदृश्य में LoC की सीमाएं
भारतीय विकास और आर्थिक सहायता योजना (IDEAS) के तहत दी जाने वाली लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) भारत की एक प्रमुख रणनीति रही है, परंतु:
- वैश्विक ऋण संकट और तरलता की कमी ने इसे अस्थिर बना दिया है।
- भारत को ग्लोबल पूंजी बाजार से उधार लेकर कम ब्याज पर ऋण देना पड़ता था, जिसका अंतर सरकार वहन करती थी।
- अब यह मॉडल कम प्रभावी और आर्थिक रूप से जोखिमपूर्ण होता जा रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत का विकास सहयोग $7 बिलियन तक पहुँच चुका है (FY 2023-24)।
- ODA (Official Development Assistance) का वैश्विक स्तर $214 बिलियन (2023) से गिरकर लगभग $97 बिलियन (2024) हो सकता है।
- भारत ने 2022 में जर्मनी के साथ त्रिपक्षीय सहयोग (TrC) हेतु समझौता किया था।
- TrC मॉडल की वैश्विक अनुमानित लागत $670 मिलियन से $1.1 बिलियन के बीच है।
त्रिपक्षीय सहयोग (Triangular Cooperation – TrC): एक व्यावहारिक समाधान
TrC एक अभिनव मॉडल है जिसमें एक पारंपरिक दाता देश (जैसे जर्मनी), एक महत्वपूर्ण दक्षिणी देश (जैसे भारत), और एक तीसरा साझेदार देश (अक्सर विकासशील देश) एक साथ कार्य करते हैं। इसके लाभ:
- साझा समाधान जो स्थानीय जरूरतों के अनुरूप होते हैं
- प्रौद्योगिकी, वित्तीय और मानव संसाधनों का सम्मिलन
- स्थानीय सामुदायिक भागीदारी और क्षमता विकास
- लागत-प्रभावी और परिणाम-संवेदनशील कार्यान्वयन
भारत की त्रिपक्षीय पहल और G-20
- भारत-जर्मनी सहयोग के अंतर्गत अफ्रीका (कैमरून, घाना, मलावी) और लैटिन अमेरिका (पेरू) में TrC परियोजनाएँ चल रही हैं।
- भारत की G-20 अध्यक्षता के दौरान TrC पर विशेष जोर दिया गया और जर्मनी, अमेरिका, यूके, यूरोपीय संघ और फ्रांस जैसे देशों के साथ साझेदारी बढ़ी।
- Global Innovation Partnership (GIP) जैसे निवेश आधारित मॉडल त्रिपक्षीय सहयोग की विस्तारित परिधि को दर्शाते हैं।
भारत की यह समावेशी और रणनीतिक विकास साझेदारी अब केवल दान और ऋण के मॉडल से आगे बढ़कर वैश्विक सहयोग की नई संरचना को गढ़ रही है। बदलते आर्थिक-राजनीतिक परिवेश में TrC एक सतत, प्रभावी और संतुलित रणनीति के रूप में उभर रहा है, जो भारत को वैश्विक विकास नेतृत्व में आगे ले जा सकता है।