विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की रिपोर्ट: स्वास्थ्य सेवाओं में स्वच्छता सुधार की वैश्विक प्रगति पर नजर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ ने स्वास्थ्य सेवाओं में जल, स्वच्छता, साफ-सफाई (WASH) और कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाने के प्रयासों पर एक अद्यतन देश प्रगति ट्रैकर जारी किया है। यह ट्रैकर अब 107 देशों को कवर करता है, जो दो साल पहले के 75 देशों से अधिक है, और 2023 की संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के तहत वैश्विक निगरानी का आधार है।
प्रमुख उपलब्धियाँ और चिंताएं
WHO की तकनीकी अधिकारी मैगी मोंटगोमरी के अनुसार, “लगभग हर देश किसी न किसी स्तर पर कार्रवाई कर रहा है। राष्ट्रीय मानकों को तैयार करने और बेसलाइन मूल्यांकन करने में प्रगति हो रही है, लेकिन पर्याप्त वित्त पोषण की कमी गंभीर चिंता का विषय है। केवल 17% देशों ने आवश्यक सेवाओं को बेहतर बनाने और बनाए रखने के लिए पर्याप्त वित्त पोषण सुरक्षित किया है।”
वैश्विक स्थिति और आंकड़े
- दुनिया भर में आधे स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की कमी है, जैसे कि मरीजों के इलाज के स्थानों या शौचालयों पर पानी और साबुन या अल्कोहल आधारित हैंड रब की अनुपलब्धता।
- लगभग 3.85 अरब लोग ऐसे स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज कराते हैं, जहां संक्रमण का खतरा अधिक है।
- इनमें से 68.8 करोड़ लोग ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज कराते हैं जहां कोई भी स्वच्छता सेवा उपलब्ध नहीं है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- WASH का अर्थ: Water, Sanitation, and Hygiene — स्वास्थ्य में संक्रमण रोकने के लिए अनिवार्य सेवाएं।
- JMP रिपोर्ट: WHO और यूनिसेफ की साझा निगरानी रिपोर्ट, जो वैश्विक स्वच्छता सेवाओं पर आधारित है।
- वित्तीय लाभ: हर 1 डॉलर की हैंड हाइजीन पर निवेश से 25 डॉलर की बचत होती है।
- अगली वैश्विक प्रगति रिपोर्ट: अक्टूबर 2025 में WHO/UNICEF द्वारा जारी की जाएगी।
उत्साहजनक प्रवृत्तियाँ
रिपोर्ट के अनुसार, 90% से अधिक देशों ने बेसलाइन मूल्यांकन या मानकों का विकास किया है। लगभग आधे देश अब WASH और कचरा प्रबंधन दिशानिर्देशों को जलवायु लचीलापन और स्थिरता के साथ जोड़ रहे हैं। इनमें सुरक्षित जल भंडारण, हरित प्लंबिंग सामग्री का उपयोग और बिना जलाए कचरा निपटान शामिल हैं।
निष्कर्ष
स्वास्थ्य सेवाओं में WASH सेवाओं को बेहतर बनाना केवल संक्रमण से बचाव ही नहीं, बल्कि एक सतत और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली की नींव है। WHO और यूनिसेफ की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि जहां देशों ने मानकों से लेकर निगरानी प्रणाली तक, समग्र दृष्टिकोण अपनाया है, वहां उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब आवश्यकता है इस गति को ठोस और स्थायी सुधारों में बदलने की — विशेषकर महिलाओं, बच्चों और विकलांगों की आवश्यकताओं को केंद्र में रखकर।