विश्व पशु स्वास्थ्य स्थिति रिपोर्ट (State of the World’s Animal Health Report)

विश्व पशु स्वास्थ्य स्थिति रिपोर्ट (State of the World’s Animal Health Report)

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने हाल ही में अपनी पहली “विश्व पशु स्वास्थ्य स्थिति रिपोर्ट” जारी की है, जिसमें पशुओं में संक्रामक रोगों के बढ़ते खतरे और उनके मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।

जूनोटिक रोगों का बढ़ता खतरा

रिपोर्ट के अनुसार, पशुओं में फैलने वाले संक्रामक रोग अब नए क्षेत्रों और प्रजातियों में फैल रहे हैं, जिनमें से 47% रोग जूनोटिक हैं, अर्थात् वे मनुष्यों में भी फैल सकते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

ब्लूटंग वायरस और फुट-एंड-माउथ डिजीज के नए मामले

2024 में, ब्लूटंग वायरस के 3,517 मामले 23 देशों में दर्ज किए गए, जो एक कीट-जनित रोग है और मुख्यतः मवेशियों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, जर्मनी में जनवरी 2025 में लगभग 37 वर्षों बाद फुट-एंड-माउथ डिजीज का पहला मामला सामने आया, जिससे देश को “फुट-एंड-माउथ डिजीज मुक्त” का दर्जा खोना पड़ा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी असर पड़ा।

जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार के प्रभाव

रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार को पशु रोगों के प्रसार के प्रमुख कारकों के रूप में चिन्हित किया गया है। बढ़ते तापमान और परिवहन के माध्यम से रोगों के नए क्षेत्रों में फैलने की संभावना बढ़ गई है, जिससे खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

रोगों की रोकथाम और टीकाकरण की भूमिका

WOAH ने पशुओं में टीकाकरण को रोगों की रोकथाम का एक प्रभावी उपाय बताया है। हालांकि, टीकों की उपलब्धता और उपयोग में असमानता है, जिससे कई क्षेत्रों में रोगों का नियंत्रण कठिन हो रहा है। टीकाकरण से न केवल रोगों की रोकथाम होती है, बल्कि यह एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग को भी कम करता है, जिससे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के खतरे को भी घटाया जा सकता है।

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) का बढ़ता संकट

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि AMR पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो 2050 तक यह दो अरब लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को $100 ट्रिलियन का नुकसान हो सकता है। यह संकट मुख्यतः पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण उत्पन्न हो रहा है, जिससे रोगाणु दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो रहे हैं।

Originally written on May 26, 2025 and last modified on May 26, 2025.

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