‘विकास भी, विरासत भी’: बाजीराव पेशवा की प्रतिमा और भारत की सांस्कृतिक चेतना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकास भी, विरासत भी’ मंत्र के तहत देश की नई पीढ़ी को भारत के महान योद्धाओं और सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ने का एक बड़ा प्रयास पुणे के नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में हुआ, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शूरवीर बाजीराव पेशवा प्रथम की प्रतिमा का अनावरण किया। यह केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, साहस और स्वराज के संदेश को भावी सैनिकों तक पहुँचाने का प्रतीक है।

बाजीराव पेशवा: अपराजेय युद्धनीति के प्रतीक

बाजीराव पेशवा भारत के उन गिने-चुने सेनानायकों में से थे जो अपने पूरे सैन्य जीवन में कभी पराजित नहीं हुए। उन्होंने 20 वर्षों में 41 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की। उनकी रणनीति, गति, समर्पण, और बलिदान की भावना आज भी सैन्य नेतृत्व के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। अमित शाह ने कहा कि NDA जैसे संस्थान, जहाँ भारत की तीनों सेनाओं के भविष्य के नेता प्रशिक्षण पाते हैं, में बाजीराव की प्रतिमा होना सबसे उपयुक्त है।

‘स्वराज’ की भावना और सांस्कृतिक जागरण

बाजीराव पेशवा ने न केवल सैन्य विजय प्राप्त की, बल्कि उन्होंने सामाजिक सुधारों और स्वराज की भावना को भी सशक्त किया। उन्होंने शनिवाड़ वाड़ा का निर्माण करवाया, जल प्रबंधन की योजनाएँ शुरू कीं और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध भी संघर्ष किया। शाह ने कहा कि उन्होंने जहाँ भी गुलामी के चिन्ह देखे, वहाँ स्वतंत्रता का दीप जलाया।
चत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित ‘हिंदवी स्वराज’ की ज्वाला को पेशवाओं ने 100 वर्षों तक प्रज्वलित रखा। यदि उन्होंने यह उत्तराधिकार न निभाया होता, तो भारत की मूल आत्मा आज जैसी नहीं होती।

आधुनिक भारत में प्रेरणा का स्रोत

आज जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्षों की ओर बढ़ रहा है, तो ऐसे महापुरुषों की विरासत नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनती है। अमित शाह ने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे शिवाजी महाराज के सपनों का भारत बनाएँ — ऐसा भारत जो हर क्षेत्र में अग्रणी हो। इस यात्रा में बाजीराव जैसे नायक हमें बताते हैं कि परिश्रम, समर्पण और राष्ट्रप्रेम से क्या कुछ संभव है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • बाजीराव पेशवा प्रथम (1720–1740) मराठा साम्राज्य के महान सेनानायक थे जिन्होंने 41 युद्धों में अपराजेय विजय प्राप्त की।
  • NDA पुणे भारत की एकमात्र संयुक्त रक्षा सेवा अकादमी है जहाँ थल, वायु और नौसेना के अधिकारी एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं।
  • शनिवाड़ वाड़ा बाजीराव पेशवा द्वारा निर्मित पुणे का ऐतिहासिक किला है।
  • ‘विकास भी, विरासत भी’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति है जो आधुनिक विकास के साथ सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा को जोड़ती है।

बाजीराव पेशवा की प्रतिमा न केवल सैन्य पराक्रम की याद दिलाती है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पुकार भी है — कि भारत अपनी वीरता, विरासत और विजन को संजोकर ही विश्वगुरु बन सकता है। इतिहास के इन स्तंभों को स्मरण कर आज का भारत अपनी भविष्य की नींव मजबूत कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *