वायु प्रदूषण: भारत के लिए सबसे गंभीर स्वास्थ्य संकट

वायु प्रदूषण अब भारत के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा बनकर उभरा है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट द्वारा जारी ‘एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) 2025’ रिपोर्ट के अनुसार, यह समस्या देशवासियों की औसत आयु से 3.5 वर्ष छीन रही है। रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि यह नुकसान कुपोषण, तंबाकू सेवन और असुरक्षित जल व स्वच्छता जैसे अन्य स्वास्थ्य खतरों से कहीं अधिक गंभीर है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें और आंकड़े

AQLI 2025 के अनुसार, भारत के सभी 1.4 अरब नागरिक ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ PM2.5 कणों का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा — 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर — से अधिक है। औसतन, यह प्रदूषित हवा भारतीयों की जीवन प्रत्याशा में 3.5 वर्षों की कटौती कर रही है।
तुलनात्मक रूप से देखें तो:

  • कुपोषण: 1.6 वर्ष कम करता है
  • तंबाकू सेवन: 1.5 वर्ष
  • असुरक्षित जल और स्वच्छता: केवल 8.4 महीने

इससे स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण का प्रभाव अकेले ही अन्य प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं से कई गुना अधिक है।

उत्तरी भारत बना दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का उत्तरी क्षेत्र विश्व का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना हुआ है, जहाँ लगभग 54.4 करोड़ लोग (देश की 38.9% आबादी) गंभीर प्रदूषण के अधीन रहते हैं। दिल्ली-एनसीआर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है, जहाँ निवासियों की जीवन प्रत्याशा WHO मानकों के अनुसार 8.2 वर्ष घट रही है।
राज्यों के आंकड़े:

  • बिहार: 5.6 वर्ष की हानि
  • हरियाणा: 5.3 वर्ष
  • उत्तर प्रदेश: 5 वर्ष

यहां तक कि भारत के सख्त लेकिन कमजोर मानक (40 µg/m³) के अनुसार भी दिल्ली-एनसीआर में जीवन प्रत्याशा 4.74 वर्ष घट रही है।

आधे भारतीय राष्ट्रीय मानकों से भी अधिक प्रदूषण में जी रहे

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 46% आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ वायु गुणवत्ता देश के अपने ही मानकों से अधिक खराब है। यदि इन्हें भारत के राष्ट्रीय PM2.5 मानकों के अनुसार भी कम कर दिया जाए, तो औसतन 1.5 वर्षों की जीवन प्रत्याशा बढ़ सकती है। वहीं WHO के मानक पूरे करने पर अपेक्षाकृत स्वच्छ क्षेत्रों में भी जीवन प्रत्याशा 9.4 महीनों तक बढ़ सकती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • AQLI (Air Quality Life Index) को शिकागो विश्वविद्यालय के EPIC संस्थान ने माइकल ग्रीनस्टोन के नेतृत्व में विकसित किया है।
  • PM2.5 कण वायु प्रदूषण के सबसे खतरनाक तत्व हैं जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार PM2.5 की सुरक्षित सीमा 5 µg/m³ है।
  • दक्षिण एशिया को AQLI रिपोर्ट ने दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बताया है, जहाँ 2023 में PM2.5 की सांद्रता में 2.8% की वृद्धि हुई।

भारत के लिए यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि यदि शीघ्र और ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो करोड़ों लोग केवल सांस लेने भर से अपने जीवन के स्वस्थ वर्ष गंवाते रहेंगे। अब समय आ गया है कि वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य नीति के केंद्र में लाकर, इसके स्थायी समाधान की दिशा में गंभीर प्रयास किए जाएं।

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