वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे 2025: प्लास्टिक प्रदूषण से आगे बढ़कर ‘एक्सपोज़ोमिक्स’ की ओर

वर्ष 2025 में विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना’ है। परंतु इस अवसर पर एक गहन वैज्ञानिक विचारधारा सामने आ रही है—“एक्सपोज़ोमिक्स” (Exposomics)—जो यह मानती है कि केवल एकल प्रदूषक ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन भर की सभी पर्यावरणीय, रासायनिक, जैविक, भौतिक और मनो-सामाजिक एक्सपोज़र्स (संपर्कों) का संयोजन हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
भारत में पर्यावरणीय स्वास्थ्य की चुनौती
भारत वैश्विक पर्यावरणीय रोग भार का 25% हिस्सा वहन करता है। यहां तेजी से हो रही आर्थिक वृद्धि से पर्यावरणीय जोखिमों की जटिलता बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और GBD अध्ययन के अनुसार:
- 2021 में वैश्विक स्तर पर 12.8 मिलियन मौतें और 14.4% DALYs पर्यावरणीय जोखिमों के कारण हुईं
- भारत में अकेले लगभग 3 मिलियन मौतें और 100 मिलियन DALYs पर्यावरणीय और व्यावसायिक जोखिमों के कारण हैं
- PM2.5 वायु प्रदूषण और ठोस ईंधन से होने वाला घरेलू प्रदूषण प्रमुख जोखिम कारक हैं
मौजूदा आकलनों की सीमाएं
वर्तमान पर्यावरणीय रोग आकलन केवल लगभग 11 जोखिम श्रेणियों को कवर करता है। कई अन्य गंभीर जोखिम अभी शामिल नहीं हैं:
- माइक्रोप्लास्टिक, ठोस अपशिष्ट, शोर प्रदूषण
- रासायनिक मिश्रण और जटिल जोखिम संयोजन
- जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संयुक्त घटनाएं (heat waves, बाढ़, सूखा)
क्या है एक्सपोज़ोमिक्स?
Exposome एक व्यक्ति के पूरे जीवनकाल में होने वाले सभी बाहरी और आंतरिक एक्सपोज़र्स का सम्मिलन है, जो अंततः रोग या स्वास्थ्य के रूप में प्रकट होते हैं। इसमें शामिल हैं:
- व्यक्तिगत संवेदनशीलता: अनुवांशिकी, एपिजेनेटिक्स
- जीवनशैली: आहार, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधि
- पर्यावरणीय कारक: वायु, जल, रसायन, माइक्रोप्लास्टिक
- मानसिक स्वास्थ्य: चिंता, अवसाद जैसे कारक जो पर्यावरणीय संकटों से उत्पन्न होते हैं
तकनीकी क्रांति की आवश्यकता
एक्सपोज़ोमिक्स को साकार करने के लिए आवश्यक है:
- सेंसर आधारित पहनने योग्य उपकरण जो व्यक्तिगत एक्सपोज़र को माप सकें
- बायोमॉनिटरिंग: रक्त/मूत्र में रसायनों की जांच
- ऑर्गन-ऑन-ए-चिप: मानवीय अंगों की सूक्ष्म प्रतिकृतियाँ
- बिग डेटा और AI: विशाल और जटिल डेटा सेट का विश्लेषण
- डेटा पारिस्थितिकी तंत्र: साझा और इंटरऑपरेबल डेटा प्लेटफॉर्म
भारत में अवसर और राह
हालांकि भारत में पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रबंधन में चुनौतियाँ हैं, लेकिन देश पहले भी डिजिटल स्वास्थ्य, आधार आधारित डेटा प्लेटफॉर्म, और वैक्सीनेशन ड्राइव में तकनीकी छलांग लगा चुका है। एक्सपोज़ोमिक्स के जरिए:
- पुरानी बीमारियों की भविष्यवाणी और निवारण रणनीति विकसित की जा सकती है
- न्यायसंगत स्वास्थ्य सेवा वितरण और नीति निर्माण को वैज्ञानिक आधार मिलेगा
- जैव-खुशी (Biohappiness) और पर्यावरणीय न्याय को साकार किया जा सकता है
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Exposome: जीवन भर के सभी एक्सपोज़र्स का वैज्ञानिक रिकॉर्ड
- DALY (Disability Adjusted Life Years): बीमारी से जुड़ा जीवनकाल का नुकसान
- EWAS (Exposure Wide Association Studies): एक्सपोज़र और रोग के बीच संबंध का विश्लेषण
- WHO: पर्यावरणीय रोग आकलन की शुरुआत 2000 में की गई
- GBD (Global Burden of Disease): वैश्विक स्तर पर बीमारियों, जोखिम कारकों और मृत्यु दर का प्रमुख अध्ययन
वर्तमान समय भारत को ‘एक्सपोज़ोमिक्स’ जैसे नवाचारों को अपनाने और वैश्विक पर्यावरणीय स्वास्थ्य नेतृत्व में अग्रणी बनने का सुनहरा अवसर देता है। आने वाले वर्षों में पर्यावरण दिवस केवल पेड़ लगाने या प्लास्टिक विरोध तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि “मानव एक्सपोज़ोम” की वैज्ञानिक यात्रा को भी सम्मानित करेगा।