वन स्वीकृति प्रक्रिया में सुधार: पर्यावरण मंत्रालय की नई दिशा और FAC की सिफारिशें

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीनस्थ वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee – FAC) ने भारत में उद्योग और अवसंरचना परियोजनाओं के लिए आवश्यक वन स्वीकृति प्रक्रिया को सरल, समयबद्ध और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई अहम सिफारिशें की हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, अनावश्यक देरी को समाप्त करना और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना है।

वन स्वीकृति प्रक्रिया में मुख्य सुधार

FAC ने हाल ही में हुई बैठक में निम्नलिखित परिवर्तन सुझाए हैं:

  • आवश्यक जानकारी के लिए बार-बार पूछताछ बंद की जाएगी।
  • परियोजनाओं से संबंधित हार्ड कॉपी की अनिवार्यता समाप्त की जाएगी।
  • वन स्वीकृति आवेदनों की लंबित स्थिति की प्रत्येक पंद्रह दिन में समीक्षा अनिवार्य होगी।
  • कुछ प्रस्तावों को FAC या क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त समितियों (RECs) के पास भेजने की आवश्यकता नहीं होगी।

ये प्रस्ताव शामिल हैं:

  • उपयोगकर्ता का नाम उत्तराधिकार के कारण बदलना
  • कंपनी के नाम में परिवर्तन
  • एक उपयोगकर्ता से दूसरे को अनुमोदन का हस्तांतरण (जैसे खनन पट्टों का ट्रांसफर)
  • अप्रत्याशित कारणों से प्रतिपूरक वनीकरण (CA) स्थल के कुछ हिस्सों में बदलाव
  • यदि उचित कारणों के साथ विलंब हो तो सैद्धांतिक स्वीकृति की शर्तों की अनुपालना में देरी

डिजिटल प्लेटफॉर्म “पर्यवेश 2.0” और समयसीमा

सरकार द्वारा विकसित Parivesh 2.0 प्लेटफॉर्म — एक एकीकृत पर्यावरणीय प्रबंधन प्रणाली — को हाल ही में अपडेट किया गया है ताकि स्वीकृति प्रक्रियाएं तेज़ हो सकें। इसके अंतर्गत:

  • यदि राज्य प्राधिकरण तीन दिनों के भीतर आवश्यक जानकारी (EDS) उपलब्ध नहीं कराते हैं तो प्रस्ताव स्वतः अगले स्तर पर अग्रेषित हो जाएगा।
  • वन (संरक्षण) नियम, 2022 के अनुसार:

    • 5 से 40 हेक्टेयर परियोजनाओं का निस्तारण 120 दिनों में
    • 40 हेक्टेयर से अधिक परियोजनाओं का निस्तारण 160 दिनों में किया जाना चाहिए

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • FAC (Forest Advisory Committee) पर्यावरण मंत्रालय की एक वैधानिक समिति है जो वन भूमि उपयोग प्रस्तावों की समीक्षा करती है।
  • Parivesh 2.0 एक एकीकृत डिजिटल पोर्टल है जो पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को सरल करता है।
  • वन (संरक्षण) नियम, 2022 के तहत परियोजना के क्षेत्रफल के अनुसार स्वीकृति की निर्धारित समयसीमा तय की गई है।
  • Van (Sanrakshan Evam Samvardhan) Rules, 2023 में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन अब अनिवार्य होगा।

नदी तल की खुदाई (Dredging): व्यावसायिक खनन नहीं

FAC ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्राकृतिक आपदाओं या चरम मौसमी घटनाओं के बाद नदी की धारा को पुनर्स्थापित करने के लिए की गई “नदी तल की खुदाई” (dredging) को व्यावसायिक खनन की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा, यदि यह एक विशिष्ट योजना और अवधि के साथ पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के उद्देश्य से की जा रही हो।
यह निर्णय हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुरोध पर लिया गया, जिसने पर्यवेश पोर्टल में “नदी तल खुदाई” को एक अलग श्रेणी के रूप में जोड़ने की मांग की थी, ताकि आपदा प्रबंधन के तहत समय पर मंजूरी मिल सके।
वन स्वीकृति प्रक्रिया में यह नया दृष्टिकोण सरकार के “Ease of Doing Business” और पारिस्थितिकीय संरक्षण को संतुलित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह सुधारात्मक पहलें देश में विकास और पर्यावरणीय दायित्व के बीच संतुलन साधने के लिए महत्त्वपूर्ण साबित होंगी।

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