रूस पर यूरोपीय संघ का 18वां प्रतिबंध पैकेज: भारत की तीखी प्रतिक्रिया और वैश्विक ऊर्जा व्यापार पर प्रभाव

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर यूरोपीय संघ (EU) ने रूस के खिलाफ अपने 18वें प्रतिबंध पैकेज की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य रूस की ऊर्जा आमदनी और वित्तीय नेटवर्क पर और अधिक चोट करना है। इस बार के प्रतिबंधों का प्रभाव न केवल रूस पर, बल्कि भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है, जिसने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
प्रतिबंधों के मुख्य बिंदु
इस नए प्रतिबंध पैकेज की सबसे बड़ी विशेषता रूस के कच्चे तेल पर नई मूल्य सीमा तय करना है। अब यह मूल्य सीमा वैश्विक औसत से 15% कम रखी गई है, जो फिलहाल लगभग $47.60 प्रति बैरल बनती है। यह पहले से निर्धारित $60 की सीमा से काफी कम है। यह कदम रूस की ऊर्जा आमदनी को सीमित करने के लिए उठाया गया है।
साथ ही, 105 नए रूसी जहाजों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो रूस की तथाकथित ‘शैडो फ्लीट’ का हिस्सा हैं। ये जहाज आम तौर पर शिप-टू-शिप ट्रांसफर के जरिए तेल की उत्पत्ति छुपाते हैं। कुल मिलाकर अब 400 से अधिक जहाज प्रतिबंधित हो चुके हैं।
वित्तीय क्षेत्र में, EU ने सभी रूसी वित्तीय संस्थानों के साथ लेन-देन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। रूस के संप्रभु निवेश कोष (RDIF) को भी लक्षित किया गया है।
भारत की प्रतिक्रिया और ऊर्जा सुरक्षा
इस प्रतिबंध पैकेज में भारत की नायरा एनर्जी लिमिटेड को भी लक्षित किया गया है, जिसमें रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है। नायरा गुजरात के वाडिनार में एक विशाल रिफाइनरी संचालित करती है, जिसकी वार्षिक क्षमता 2 करोड़ टन है और इसके देशभर में 6,750 से अधिक पेट्रोल पंप हैं।
भारत ने इन एकतरफा प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को स्वीकार नहीं करता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और किसी भी “दोहरे मानदंड” को स्वीकार नहीं करेगा, विशेष रूप से ऊर्जा व्यापार के संदर्भ में।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- रूस पर यूरोपीय संघ का यह 18वां प्रतिबंध पैकेज है।
- नए नियमों के तहत रूसी तेल की अधिकतम कीमत वैश्विक औसत से 15% कम तय की गई है।
- नायरा एनर्जी लिमिटेड, जिसमें रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है, को भी निशाना बनाया गया है।
- भारत सरकार ने “एकतरफा प्रतिबंध” का विरोध करते हुए ऊर्जा सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया।
वैश्विक व्यापार और कूटनीति पर असर
EU ने न केवल रूस को, बल्कि प्रतिबंधों को चकमा देने वाले 26 नए संस्थानों को भी ब्लैकलिस्ट किया है, जिनमें चीन, हांगकांग और तुर्की की कंपनियां शामिल हैं। यह दिखाता है कि यूरोपीय संघ अब रूस के सहयोगियों और अप्रत्यक्ष समर्थन देने वालों पर भी नजर रख रहा है।
हालांकि इस पैकेज को मंजूरी मिलने में देरी हुई, क्योंकि स्लोवाकिया और माल्टा जैसे देशों ने कुछ शर्तों के साथ आपत्ति जताई थी। स्लोवाकिया को आश्वासन दिए जाने के बाद ही सहमति बनी।
यूरोपीय संघ के इस नए प्रतिबंध पैकेज ने वैश्विक ऊर्जा व्यापार, कूटनीति और भारत जैसे देशों की ऊर्जा रणनीतियों को नई चुनौतियाँ दी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले महीनों में भारत, रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन कैसे कायम रहता है।