रूस की मुद्रा ‘रूबल’ में 45% की जोरदार मजबूती: वरदान या विपत्ति?

रूस की मुद्रा ‘रूबल’ ने इस वर्ष अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 45% की बढ़त दर्ज की है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में शुमार हो गई है। हालांकि यह आर्थिक मजबूती रूस की प्रतिबंधित अर्थव्यवस्था के लिए एक दोधारी तलवार बनती जा रही है।
रूबल की मजबूती के पीछे की वजहें
रूसी केंद्रीय बैंक की सख्त मौद्रिक नीति ने रूबल को मजबूत बनाए रखा है। फरवरी में अमेरिका-रूस वार्ता के बाद यूक्रेन युद्ध में संभावित शांति की उम्मीदें बढ़ीं, जिससे बाजार में सकारात्मकता आई। इसके अलावा रूबल पर जमा ब्याज दर 20% से ऊपर पहुंच गई है, जिससे यह निवेशकों और बचतकर्ताओं के लिए आकर्षक हो गया है।
साथ ही, उच्च ब्याज दरों के कारण कर्ज महंगा हो गया है, जिससे आयात घटे हैं और विदेशी मुद्रा की मांग कम हुई है। अमेरिकी डॉलर की कमजोरी (अप्रैल 2 के बाद डॉलर इंडेक्स में 6.6% गिरावट) ने भी रूबल को ताकत दी है। रूसी केंद्रीय बैंक ने युआन को बेचकर रूबल को सहारा दिया है।
मजबूत रूबल: क्यों है यह एक दोधारी तलवार?
हालांकि रूबल की मजबूती आर्थिक स्थिरता का संकेत देती है, यह सरकारी राजस्व और निर्यातकों के लिए हानिकारक साबित हो रही है:
- सरकारी बजट पर असर: रूसी बजट का एक बड़ा हिस्सा डॉलर में होने वाली ऊर्जा बिक्री पर आधारित है। रूबल के मजबूत होने से डॉलर में कमाई गई राशि को बदलने पर रूबल में कम राशि प्राप्त होती है। 2025 के बजट में 1 डॉलर = 94.3 रूबल मान कर योजना बनाई गई थी, जबकि मौजूदा दर लगभग 78 है। इससे लगभग 2.4% राजस्व की हानि हो सकती है।
- निर्यातकों की परेशानी: रूसी निर्यातक जैसे कि तेल, धातु और कृषि उत्पादकों की आमदनी में गिरावट आ रही है क्योंकि उनका माल डॉलर में महंगा हो गया है। इन उद्योगों का मानना है कि 1 डॉलर = 100 रूबल की दर अधिक संतुलित रहेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- रूबल की मौजूदा मजबूती रूस में 2025 की शुरुआत से अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है।
- रूसी केंद्रीय बैंक ने युआन को बेचकर हस्तक्षेप किया, लेकिन डॉलर में कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं किया।
- 2019 के बाद पहली बार रूसी मुद्रा इतनी तेज़ी से बढ़ी है।
- पिछले साल नवंबर में अमेरिका द्वारा गैज़प्रॉमबैंक पर प्रतिबंध लगने के बाद रूबल में तेज गिरावट आई थी।
आगे क्या हो सकता है?
अब ध्यान इस बात पर है कि क्या केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा। यदि ऐसा होता है, तो रूबल पर दबाव बढ़ सकता है क्योंकि लोग अपने रूबल जमा निकाल सकते हैं। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा यूक्रेन में शांति की प्रगति पर 50-दिन की समय सीमा (सितंबर की शुरुआत में समाप्त हो रही है) के बाद नए प्रतिबंध लगने की आशंका है।
केंद्रीय बैंक की गवर्नर एल्विरा नबीउलिना का कहना है कि मजबूत मुद्रा देश की मौद्रिक नीति का परिणाम है और यह सिर्फ निर्यातकों को खुश करने का साधन नहीं हो सकता। हालाँकि, बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि रूबल अभी भी ‘अधिक मूल्यांकन’ की स्थिति में है और धीरे-धीरे कमजोर होने की संभावना है।
रूबल की मजबूती भले ही सतही रूप से रूसी अर्थव्यवस्था की ताकत दिखाती हो, लेकिन इसके भीतर मौजूद असंतुलन और राजस्व हानि की आशंका इसे एक आर्थिक चुनौती भी बना रही है।