रूस की घातक मिसाइल ‘सैटन 2’ फिर चर्चा में: रणनीतिक संतुलन में बड़ा बदलाव

हाल ही में अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के चलते रूस की परमाणु ताक़त का प्रतीक मानी जाने वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) RS-28 Sarmat, जिसे नाटो ने ‘सैटन 2’ का नाम दिया है, एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। यह मिसाइल न केवल रूस की रक्षा नीति का मुख्य स्तंभ है, बल्कि इसकी क्षमताएं अमेरिका और चीन की मिसाइल प्रणालियों को भी पीछे छोड़ती हैं। अमेरिका द्वारा रूसी जलक्षेत्र के पास दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती के बाद, मास्को ने भी अपनी रणनीतिक शक्ति का प्रदर्शन तेज कर दिया है, जिसमें सैटन 2 का उल्लेखनीय योगदान है।
RS-28 Sarmat: एक अतिसंहारक हथियार
RS-28 Sarmat को रूस के मकेयेव रॉकेट डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया है। यह सोवियत काल की मिसाइल R-36M (SS-18 Satan) का उन्नत संस्करण है। इसका पहला सफल परीक्षण 20 अप्रैल 2022 को हुआ था। यह मिसाइल तरल ईंधन पर आधारित है और इसे ‘सुपर-हेवी’ श्रेणी की ICBM माना जाता है।
इसकी मारक क्षमता लगभग 18,000 किलोमीटर तक मानी जाती है, जो इसे विश्व के किसी भी कोने तक मार करने में सक्षम बनाती है — चाहे वह उत्तर ध्रुव हो या दक्षिण ध्रुव। इस कारण से यह पश्चिमी देशों की रक्षा प्रणालियों के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है।
RS-28 का कुल वज़न लगभग 208 टन और लंबाई 35 मीटर है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) प्रणाली है, जो एक साथ 10 से 15 परमाणु हथियार ले जा सकती है। इसके कुछ वेरिएंट्स में अवांगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल भी शामिल हो सकते हैं, जो उड़ान के दौरान दिशा बदलने में सक्षम होते हैं, जिससे किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को चकमा देना आसान हो जाता है।
रणनीतिक दृष्टिकोण से प्रभाव
RS-28 Sarmat को रूस ने अमेरिकी और नाटो मिसाइल क्षमताओं के प्रतिकार के रूप में विकसित किया है। यह अमेरिका की LGM-30G Minuteman III (13,000 किमी रेंज) और चीन की DF-41 (12,000–15,000 किमी) मिसाइलों से कहीं अधिक दूरी और भार वहन क्षमता रखती है। इसके जरिए रूस न केवल अमेरिका और यूरोप को, बल्कि यूक्रेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भी अपनी परमाणु नीति के दायरे में लाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- RS-28 Sarmat को NATO द्वारा ‘सैटन 2’ नाम दिया गया है।
- इसकी गति Mach 20 (ध्वनि की गति से 20 गुना अधिक) मानी जाती है।
- इसका विकास कार्य 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था।
- यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्य भेदने में सक्षम है, जिससे इसकी रणनीतिक शक्ति और बढ़ जाती है।
ताकत और कमजोरियाँ
ताकतें:
- 18,000 किमी की असीम रेंज, जिससे यह ध्रुवीय मार्गों से भी हमले कर सकती है।
- एक साथ कई परमाणु वारहेड और हाइपरसोनिक वाहन ले जाने की क्षमता।
- आधुनिक रक्षा प्रणालियों को भी मात देने वाली गति और दिशा-परिवर्तन क्षमता।
कमजोरियाँ:
- तरल ईंधन आधारित होने के कारण लॉन्च से पहले अधिक तैयारी समय की आवश्यकता।
- 2024 में एक परीक्षण के दौरान हुए विस्फोट से तकनीकी विश्वसनीयता पर सवाल।
- अमेरिकी स्पेस-बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS) जैसे सिस्टम इसकी प्रारंभिक पहचान में सक्षम हो सकते हैं।
आज की वैश्विक सामरिक स्थिति में RS-28 Sarmat की तैनाती केवल एक मिसाइल का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक नई हथियार होड़ की चेतावनी है। जहां एक ओर यह रूस की शक्ति का परिचायक है, वहीं दूसरी ओर यह वैश्विक रणनीतिक संतुलन को और अधिक जटिल बनाता है।