राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 लागू: हर गांव में सहकारी संस्थान और ग्रामीण समृद्धि की तैयारी

केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 24 जुलाई को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का शुभारंभ किया, जो भारत की सहकारी प्रणाली को अगले दो दशकों के लिए दिशा देने वाली एक ऐतिहासिक पहल है। यह नीति वर्ष 2002 की नीति का स्थान लेगी और सहकारिता क्षेत्र को आधुनिक, समावेशी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करेगी।

नीति के छह मुख्य स्तंभ

नई नीति छह प्रमुख आधारों पर आधारित है:

  1. नींव को मजबूत करना
  2. सहकारिता में जीवंतता लाना
  3. भविष्य के लिए संस्थाओं को तैयार करना
  4. समावेशिता और पहुंच का विस्तार करना
  5. नए क्षेत्रों में विस्तार करना
  6. युवा पीढ़ी को सहकारी विकास के लिए प्रेरित करना

अमित शाह ने कहा कि टैक्सी सेवा, बीमा, ग्रीन एनर्जी और पर्यटन जैसे नए क्षेत्रों में सहकारी संस्थाएं तेजी से कदम रखेंगी, जिससे ग्रामीण स्तर पर प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटीज़ (PACS) के सदस्यों को लाभ मिलेगा।

राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के लक्ष्य

  • GDP में योगदान तीन गुना करना: 2034 तक सहकारिता क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान तीन गुना करने का लक्ष्य तय किया गया है।
  • 50 करोड़ नागरिकों को जोड़ना: सहकारिता क्षेत्र से असक्रिय या अनजाने लोगों को सक्रिय रूप से जोड़ना।
  • सहकारी संस्थाओं की संख्या 30% बढ़ाना: वर्तमान में लगभग 8.3 लाख संस्थाएं हैं, जिन्हें 30% तक बढ़ाया जाएगा।
  • हर गांव में सहकारी संस्था: फरवरी 2026 तक देशभर में 2 लाख PACS स्थापित करने का लक्ष्य।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह नीति 2002 की राष्ट्रीय सहकारिता नीति की जगह लेगी।
  • एक 48-सदस्यीय समिति ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में इसे तैयार किया।
  • चार क्षेत्रीय कार्यशालाओं और 648 सुझावों के आधार पर नीति का मसौदा तैयार हुआ।
  • सहकारी बैंकों को अब बैंकिंग अधिनियम और RBI के दायरे में लाया गया है।

सहकारिता आंदोलन में गिरावट के कारण

शाह ने बताया कि तीन प्रमुख कारणों से भारत में सहकारिता आंदोलन कमजोर पड़ा:

  1. पुराने कानूनों में कोई बदलाव नहीं किया गया।
  2. गतिविधियों का विकास और विस्तार नहीं हुआ।
  3. नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद का बोलबाला रहा।

इन समस्याओं को हल करने के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की भी परिकल्पना की गई है।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य न केवल सहकारी संस्थानों को मजबूत बनाना है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहभागी बनाना भी है। यह नीति ग्रामीण रोजगार, स्थानीय उत्पादन, वित्तीय समावेशन और सामुदायिक विकास को नया आधार देगी। अगर सभी राज्य इस नीति को समयबद्ध और ईमानदारी से लागू करते हैं, तो यह भारत की सहकारी व्यवस्था को एक नई ऊंचाई तक ले जा सकती है।

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