राजस्थान में गोरबिया सोलर प्रोजेक्ट का उद्घाटन: भारत की अक्षय ऊर्जा में ऐतिहासिक छलांग

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर हासिल किया है। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 19 जुलाई 2025 को राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा में 435 मेगावाट क्षमता वाले गोरबिया सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया। ज़ेलेस्ट्रा इंडिया द्वारा विकसित इस परियोजना को केवल आठ महीनों में पूरा किया गया, और यह अब भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और जलवायु प्रतिबद्धताओं का प्रतीक बन चुकी है।

परियोजना की विशेषताएँ और तकनीकी उपलब्धि

गोरबिया परियोजना 1,250 एकड़ (लगभग 506 हेक्टेयर) भूमि पर फैली है और इसकी 25 वर्ष की बिजली खरीद समझौता (PPA) सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से हुई है। इस परियोजना से:

  • प्रति वर्ष 755 गीगावाट-घंटे स्वच्छ बिजली का उत्पादन होगा।
  • 1,28,000 घरों की ऊर्जा आवश्यकता पूरी होगी।
  • 7.05 लाख टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकेगा।

इस संयंत्र में अत्याधुनिक Topcon Bifacial Mono PERC सौर पैनल लगाए गए हैं, जो दोनों दिशाओं से प्रकाश प्राप्त कर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इसके साथ ही 1,300 से अधिक रोबोटिक यूनिट्स की मदद से सफाई और अनुरक्षण की व्यवस्था की गई है, जिससे मॉड्यूल की दक्षता बनी रहती है।

नवीकरणीय ऊर्जा में राजस्थान की अग्रणी भूमिका

प्रह्लाद जोशी ने बताया कि राजस्थान की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता का 70% अब नवीकरणीय स्रोतों से आता है, जिसमें:

  • 29.5 GW सौर ऊर्जा,
  • और 5.2 GW पवन ऊर्जा शामिल हैं।

राज्य ने एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति 2024 और हरित हाइड्रोजन नीति लागू की है। पिछले वर्ष 6.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर हुए, जिनमें अधिकांश अक्षय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गोरबिया सोलर प्रोजेक्ट राजस्थान की सबसे बड़ी नई सौर परियोजनाओं में से एक है।
  • भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50% अब गैर-जीवाश्म स्रोतों से आ चुका है — 2030 के लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले।
  • प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत राज्य में अब तक 49,000 से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जा चुके हैं।
  • पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत 1.45 लाख से अधिक सोलर पंप किसानों को दिए जा चुके हैं।

भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं

मंत्री ने पेरोव्स्काइट टैंडम सोलर सेल तकनीक पर चल रहे अनुसंधान का भी उल्लेख किया, जो पारंपरिक सौर मॉड्यूल की तुलना में अधिक ऊर्जा दक्षता प्रदान कर सकती है। उन्होंने ज़ेलेस्ट्रा और राज्य सरकार को इस तकनीक पर पायलट परियोजनाएं शुरू करने की सलाह दी।
साथ ही, पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बताई गई, क्योंकि राजस्थान में 284 GW पवन ऊर्जा की अपार अप्रयुक्त संभावना मौजूद है।
गोरबिया सोलर परियोजना भारत की ऊर्जा क्रांति का प्रतीक बन चुकी है। यह सिर्फ बिजली उत्पादन नहीं, बल्कि स्वच्छ, सुरक्षित और सतत विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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