रसायन उद्योग में वैश्विक नेतृत्व की ओर भारत की तैयारी: नीति आयोग की रिपोर्ट का विश्लेषण

हाल ही में नीति आयोग ने “Chemical Industry: Powering India’s Participation in Global Value Chains” शीर्षक से एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत के रसायन उद्योग की वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ, अवसर और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।

भारत की वर्तमान स्थिति और वैश्विक परिदृश्य

विश्व रासायनिक उद्योग इन दिनों आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्संरेखण, विशेष और हरित रसायनों की मांग, और नवाचार व सततता की प्राथमिकता के चलते बदलाव के दौर से गुजर रहा है। भारत का रासायनिक क्षेत्र, जो GDP में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है, अभी भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिहाज़ से कई बाधाओं से जूझ रहा है। देश की वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में भागीदारी मात्र 3.5% है, और 2023 में USD 31 अरब का व्यापार घाटा दर्शाता है कि भारत कच्चे माल और विशिष्ट रसायनों के आयात पर अत्यधिक निर्भर है।

प्रमुख चुनौतियाँ

  • आयात निर्भरता: सीमित घरेलू कच्चा माल, जिससे व्यापार घाटा बढ़ा।
  • अविकसित औद्योगिक अवसंरचना: उच्च लॉजिस्टिक्स लागत और पुराने क्लस्टर।
  • नवाचार में निवेश की कमी: R&D पर खर्च मात्र 0.7%, जबकि वैश्विक औसत 2.3% है।
  • विनियामक बाधाएं: पर्यावरणीय अनुमोदन में देरी।
  • कुशल जनशक्ति की कमी: हरित रसायन, नैनोटेक्नोलॉजी, सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में 30% की कमी।

सुधार के लिए प्रस्तावित पहलें

नीति आयोग की रिपोर्ट में कई रणनीतिक वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेप प्रस्तावित हैं:

  1. विश्वस्तरीय केमिकल हब्स: मौजूदा क्लस्टर्स का आधुनिकीकरण और नए हब्स का विकास।
  2. बंदरगाह अवसंरचना सुधार: रासायनिक व्यापार को सुविधाजनक बनाने हेतु पोर्ट स्तर पर समिति का गठन।
  3. OPEX सब्सिडी योजना: आयातित रसायनों की घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन।
  4. प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा: DCPC-DST के सहयोग से R&D के लिए इंटरफेस एजेंसी।
  5. तेज़ और पारदर्शी पर्यावरणीय मंजूरी: DPIIT के अंतर्गत निगरानी समिति का गठन।
  6. FTAs को रणनीतिक रूप से प्रयोग: रसायन उद्योग हेतु लक्षित शर्तों और छूटों की वार्ता।
  7. कौशल विकास: ITI और विशेष प्रशिक्षण संस्थानों का विस्तार, उद्योग-अकादमिक साझेदारी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत का रासायनिक व्यापार घाटा (2023): USD 31 अरब
  • वैश्विक रासायनिक उद्योग में भारत की भागीदारी: 3.5%
  • R&D में भारत का निवेश: 0.7% (वैश्विक औसत 2.3%)
  • नीति आयोग का लक्ष्य (2040 तक): USD 1 ट्रिलियन का रासायनिक क्षेत्र और 12% वैश्विक भागीदारी
  • 2023 से 2030 का लक्ष्य: व्यापार घाटा शून्य, 7 लाख अतिरिक्त नौकरियाँ, USD 35-40 अरब का निर्यात

2030 का विजन

भारत का उद्देश्य है कि वह 2030 तक वैश्विक रासायनिक उत्पादन में 5-6% की हिस्सेदारी हासिल करे, व्यापार घाटा समाप्त करे, और 7 लाख नई नौकरियाँ उत्पन्न करे। यह लक्ष्य अत्याधुनिक क्लस्टर्स, तकनीकी नवाचार, सरल विनियामक प्रक्रिया और कुशल श्रमिक बल द्वारा समर्थित होगा।
भारत के लिए यह अवसर है कि वह न केवल घरेलू मांग को पूरा करे, बल्कि वैश्विक रासायन आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख स्तंभ बने। नीति आयोग की यह रिपोर्ट एक स्पष्ट दिशा और ठोस नीतिगत पहल प्रदान करती है, जिसकी सहायता से भारत इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व पा सकता है।

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