यूरोप में बढ़ती भीषण गर्मी: जलवायु संकट का नया चेहरा

यूरोप इस समय एक गंभीर जलवायु संकट का सामना कर रहा है। जून के अंत से शुरू हुई भीषण गर्मी की लहर ने पूरे महाद्वीप को अपने चपेट में ले लिया है। रिकॉर्ड तोड़ तापमान और असहनीय परिस्थितियों ने अब तक हजारों लोगों को प्रभावित किया है, जिनमें आठ लोगों की मृत्यु हो चुकी है। यह स्थिति केवल वर्तमान समस्या नहीं है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में और गंभीर होने वाली एक चेतावनी है।

यूरोप में रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी की स्थिति

स्पेन के हुएलवा क्षेत्र में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया — जो जून महीने के लिए एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड है। फ्रांस में तापमान 40 डिग्री तक चढ़ गया, जबकि इटली के रोम और मिलान सहित 20 शहरों को उच्चतम स्तर की गर्मी चेतावनी दी गई। जर्मनी में केवल तीन दिनों (30 जून से 3 जुलाई) में 200 से अधिक गर्मी से जुड़ी चेतावनियाँ जारी की गईं। ऑस्ट्रिया, बोस्निया, सर्बिया और स्लोवेनिया जैसे मध्य यूरोपीय देशों ने भी रेड अलर्ट जारी किया है।
गर्मी के चलते तुर्की, ग्रीस, पुर्तगाल और इटली जैसे देशों में जंगलों में आग लग गई है, वहीं मध्य यूरोप में सूखा पड़ने की स्थिति बन गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये घटनाएं अप्रत्याशित नहीं हैं, क्योंकि वर्षों से यूरोप में बढ़ते तापमान को लेकर चेतावनी दी जा रही है।

यूरोप: सबसे तेज़ गर्म होता महाद्वीप

ग्लोबल औसत के मुकाबले यूरोप में तापमान वृद्धि की दर लगभग दोगुनी है। जहां विश्व स्तर पर औसतन हर दशक में 0.2 डिग्री की बढ़ोतरी हो रही है, वहीं यूरोप में यह दर 0.5 डिग्री प्रति दशक है। पिछले पाँच वर्षों में यूरोप का औसत तापमान प्री-इंडस्ट्रियल स्तर से 2.4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जबकि वैश्विक औसत 1.3 डिग्री रहा।
यूरोप की आर्कटिक के निकटता, सूखी मिट्टी की प्रतिक्रिया प्रणाली (फीडबैक सिस्टम) और जेट स्ट्रीम के बदलते व्यवहार जैसे कारण इस तेजी से हो रही गर्मी के पीछे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, जब मिट्टी सूख जाती है तो वह वायुमंडल में अधिक गर्मी लौटाती है, जिससे तापमान और अधिक बढ़ता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यूरोप में 1950 से 2023 तक की 30 सबसे गंभीर हीटवेव्स में से 23 वर्ष 2000 के बाद आई हैं।
  • यूरोप में 2022 में हीटवेव से लगभग 60,000 और 2023 में लगभग 47,690 अतिरिक्त मौतें दर्ज की गईं।
  • यूरोप विश्व का सबसे तेज़ गर्म होता महाद्वीप है, जहां हर दशक में 0.5°C की औसत वृद्धि हो रही है।
  • WHO यूरोप क्षेत्र के केवल 21 देशों के पास ही प्रभावी राष्ट्रीय हीट-हेल्थ एक्शन प्लान हैं।

जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अब यह प्रश्न नहीं है कि हीटवेव आएगी या नहीं, बल्कि यह कि कितनी बार और कितनी लंबी होगी। हालात इस ओर संकेत करते हैं कि यूरोप को जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी अनुकूलन रणनीति पर गंभीरता से काम करना होगा।
फिलहाल, यूरोप के अधिकांश देश इस दिशा में पीछे हैं। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 21 देशों ने ही अपनी राष्ट्रीय हीट-हेल्थ योजनाएं बनाई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि त्वरित अनुकूलन नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में हीटवेव से होने वाली मौतों की संख्या और अधिक बढ़ सकती है।
यूरोप में गर्मी की यह स्थिति केवल एक मौसमी घटना नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन की स्पष्ट चेतावनी है। यदि इस समय आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में स्थिति और भी अधिक विनाशकारी हो सकती है।

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