याकतेन: भारत का पहला डिजिटल नोमैड गांव, जहां काम और जीवन का सही संतुलन मिलता है

याकतेन: भारत का पहला डिजिटल नोमैड गांव, जहां काम और जीवन का सही संतुलन मिलता है

पूर्वी सिक्किम के पाकयोंग जिले का छोटा सा गांव याकतेन अब भारत का पहला “डिजिटल नोमैड” गांव घोषित हो गया है। यह पहल ‘नोमैड सिक्किम’ परियोजना के तहत जिला प्रशासन और गैर-सरकारी संस्था सर्वहिताय के सहयोग से शुरू की गई है। इसका उद्देश्य देश-विदेश के डिजिटल प्रोफेशनल्स को आकर्षित करना और ग्रामीण पर्यटन को स्थायी आय का साधन बनाना है।

डिजिटल कामकाज की नई परिभाषा

महामारी के बाद जैसे ही वर्क फ्रॉम होम सामान्य हो गया, दुनिया भर के पेशेवर ऐसी जगहों की तलाश में लग गए जहां वे काम और जीवन दोनों का आनंद ले सकें। इसी जरूरत को पहचानते हुए सिक्किम सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) के सहयोग से याकतेन को डिजिटल कार्य संस्कृति, सतत पर्यटन और स्थानीय विकास का आदर्श केंद्र बनाया।

याकतेन को क्या बनाता है विशेष?

यह गांव केवल इंटरनेट सुविधाओं से लैस नहीं है, बल्कि यह गहराई से मानव जुड़ाव और प्रकृति की गोद में रहने का अनुभव कराता है। यहां के होमस्टे न केवल कार्यक्षेत्र हैं बल्कि परिवारों द्वारा गर्मजोशी से संचालित स्थान हैं। हर घर के पीछे अदरक और इलायची के खेत हैं, और हर रास्ता जंगल की ओर जाता है। भोजन स्थानीय है — जैसे सेल रोटी, बटर टी और मौसमी सब्जियों से बनी धीमी आंच की सब्जी।

बुनियादी सुविधाओं में सुधार

याकतेन को काम-काजी अनुकूल बनाने के लिए दो इंटरनेट लाइनों और पूरे गांव में वाई-फाई की सुविधा दी गई है। इनवर्टर और पावर बैकअप की व्यवस्था भी है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत जल संकट को दूर करने की दीर्घकालीन योजना बनाई गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • याकतेन सिक्किम के पाकयोंग जिले में स्थित है, जो राजधानी गंगटोक से लगभग 35 किमी दूर है।
  • यह गांव भारत का पहला आधिकारिक डिजिटल नोमैड गांव घोषित हुआ है — यह घोषणा 14 जुलाई 2025 को की गई।
  • गांव में लगभग एक दर्जन होमस्टे को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड और बैकअप सिस्टम से जोड़ा गया है।
  • यह पहल जीवनशैली पर्यटन, ग्रामीण विकास और सतत आजीविका को एकीकृत करने का प्रयास है।

क्या करें याकतेन में

  • नेचर ट्रेल्स और बर्डवॉचिंग: दुर्लभ पक्षियों, तितलियों और जंगली ऑर्किड की मौजूदगी।
  • झांडी दारा व्यूपॉइंट: कंचनजंघा का विहंगम दृश्य दिखाने वाला 7 किमी लंबा ट्रैक।
  • बुडंग गढ़ी किला अवशेष: ऐतिहासिक भूटिया किले के खंडहरों तक का छोटा ट्रेक।
  • ग्रामीण भ्रमण: सीढ़ीदार खेत, ग्रीनहाउस और सामुदायिक बगानों की सैर।
  • सांस्कृतिक संध्याएं: लोकनृत्य और संगीत प्रस्तुतियों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति की झलक।

कैसे पहुंचें याकतेन

याकतेन, पाकयोंग एयरपोर्ट से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से निजी टैक्सी या साझा वाहन द्वारा 30 मिनट में गांव पहुँचा जा सकता है। सड़कें साल भर सुगम रहती हैं।

कब जाएं

मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का समय सबसे अनुकूल माना जाता है, जब मौसम साफ और गतिविधियाँ अधिक आनंददायक होती हैं।
याकतेन केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक संभावना है — एक ऐसा स्थान जहां उत्पादकता और संतुलन साथ चलते हैं। भारत की ग्रामीण भूमि में इस प्रकार की पहलों से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त होगी, बल्कि काम की संस्कृति को भी नया आयाम मिलेगा।

Originally written on July 15, 2025 and last modified on July 15, 2025.

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