मोहम्मद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट : चीन बना रहा है पाकिस्तान में विश्व का 5वां सबसे ऊंचा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट

हाल ही में चीन ने पाकिस्तान में एक प्रमुख बांध परियोजना – मोहम्मद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट – पर कार्य में तेजी लाने की घोषणा की है। यह निर्णय दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे ‘हर मौसम के दोस्ती’ (All-Weather Friendship) संबंधों को और प्रगाढ़ करने की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है। यह परियोजना उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित है और 2019 से चीन की सरकारी कंपनी China Energy Engineering Corporation के नेतृत्व में इसका निर्माण कार्य चल रहा है।

परियोजना की पृष्ठभूमि

मोहम्मद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान की जल विद्युत क्षमता को बढ़ाने और ऊर्जा संकट से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह बांध स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्थायी स्रोत बनेगा, जो विशेष रूप से उस क्षेत्र में बिजली की अस्थिरता और जल संकट को दूर करने में सहायक होगा।

इस परियोजना का उद्देश्य न केवल ऊर्जा उत्पादन है, बल्कि इससे सिंचाई सुविधाओं, बाढ़ नियंत्रण और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। यह डैम प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के अंतर्गत आने वाली कई प्रमुख परियोजनाओं में से एक है।

रणनीतिक महत्व

चीन द्वारा इस परियोजना में तेजी लाना केवल आर्थिक कारणों से नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरे भू-राजनीतिक हित भी निहित हैं:

  • भारत-पाकिस्तान जल विवाद: पाकिस्तान में बांध निर्माण भारत के साथ सिंधु जल संधि और उसके अनुपालन को लेकर समय-समय पर विवाद उत्पन्न करता रहा है। ऐसे में चीन की भागीदारी से यह विवाद और अधिक संवेदनशील हो सकता है।
  • चीन की वैश्विक रणनीति: यह कदम चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के अंतर्गत पाकिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान के साथ निवेश और बुनियादी ढांचे में सहयोग के माध्यम से चीन दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करना चाहता है।
  • स्थानीय राजनीतिक लाभ: पाकिस्तान की सरकार को ऊर्जा संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में राहत देने और रोजगार सृजन के माध्यम से आंतरिक स्थिरता लाने में यह परियोजना मदद कर सकती है।

संभावित चुनौतियां

हालांकि इस परियोजना के कई लाभ हैं, लेकिन कुछ प्रमुख चुनौतियां भी हैं:

  • सुरक्षा जोखिम: खैबर पख्तूनख्वा जैसे असुरक्षित क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों और परियोजना कार्यकर्ताओं के लिए खतरा बना रहता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: बांध निर्माण से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ सकता है, जिसकी निगरानी और समुचित योजना आवश्यक है।
  • ऋण का बोझ: चीन से मिल रहा भारी निवेश भविष्य में पाकिस्तान के लिए ऋण जाल का कारण बन सकता है, जैसा कि श्रीलंका और अफ्रीकी देशों के उदाहरणों से देखा गया है।

मोहम्मद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर चीन की बढ़ती गति चीन-पाकिस्तान रणनीतिक साझेदारी की एक और मिसाल है। यह परियोजना पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकती है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक होगा। चीन का यह कदम न केवल आर्थिक निवेश है, बल्कि दक्षिण एशिया में उसकी भूराजनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास भी है।

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