‘मेक इन इंडिया’ बनाम ‘मेड इन चाइना 2025’: वैश्विक निर्माण की दौड़ में भारत को क्या सबक मिलते हैं?

हाल ही में आई Bloomberg की एक रिपोर्ट के अनुसार, Foxconn ने भारत में iPhone फैक्ट्रियों से सैकड़ों चीनी इंजीनियरों और तकनीशियनों को वापस बुला लिया है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब Apple भारत को चीन के विकल्प के रूप में उभरते विनिर्माण केंद्र के रूप में देख रहा है। दूसरी ओर, चीन की ‘Made in China 2025’ नीति ने वैश्विक औद्योगिक संतुलन को बहुत हद तक प्रभावित किया है, भले ही अब चीनी अधिकारी इस योजना का नाम सार्वजनिक रूप से लेने से बचते हैं।
‘मेड इन चाइना 2025’: क्या है यह नीति?
2015 में शुरू की गई ‘Made in China 2025’ योजना चीन की निर्माण नीति की दस वर्षीय रूपरेखा थी, जिसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता और उच्च तकनीक उत्पादों के उत्पादन में बढ़त हासिल करना था। इस नीति में जिन 10 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, उनमें इलेक्ट्रिक वाहन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, उन्नत बायोमेडिसिन, हाई-स्पीड रेल, और हाई-टेक समुद्री इंजीनियरिंग शामिल हैं।
हाल ही में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) की रिपोर्ट में कहा गया कि यह रणनीति अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुकी है, जहाँ AI और हरित ऊर्जा इसकी रीढ़ बन चुके हैं।
चीन इस नीति का नाम क्यों नहीं लेता?
The Economist पत्रिका के अनुसार, ‘Made in China 2025’ एक ऐसा शब्द बन चुका है जिसे चीनी अधिकारी अब वोल्डेमॉर्ट की तरह लेने से भी डरते हैं। कारण यह है कि इस नीति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुचित प्रतिस्पर्धा और संरक्षणवाद के प्रतीक के रूप में देखा गया है। पश्चिमी देशों ने आरोप लगाया कि यह योजना चीन की कंपनियों को अनुचित बढ़त देती है और विदेशी कंपनियों के लिए चीन के बाजार में बाधाएं खड़ी करती है।
कितनी सफल रही ‘Made in China 2025’?
इस नीति ने चीन को वैश्विक विनिर्माण के कई क्षेत्रों में अग्रणी बना दिया है:
- बैटरी निर्माण: चीन अब वैश्विक लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन का 75% से अधिक करता है।
- सोलर पैनल: लगभग 80% सौर मॉड्यूल चीन में बनते हैं।
- इलेक्ट्रिक वाहन: वैश्विक उत्पादन में चीन की अग्रणी हिस्सेदारी है।
- हाई-स्पीड रेल और रोबोटिक्स: इन क्षेत्रों में चीन ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
हालाँकि, अर्धचालकों (सेमीकंडक्टर) और पैसेंजर एयरक्राफ्ट निर्माण में वह अभी भी अपने लक्ष्यों से पीछे है।
भारत के लिए सबक
भारत ने 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य भारत को निर्माण, डिजाइन और नवाचार का केंद्र बनाना था। हालांकि, भारत का मुख्य बल अभी भी सेवा क्षेत्र पर है, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में प्रगति अपेक्षाकृत धीमी रही है।
- भारत का लाभ: राजनीतिक स्थिरता, लोकतांत्रिक संस्थाएं, वैश्विक कंपनियों के लिए खुला बाजार।
- भारत की चुनौतियाँ: आपूर्ति श्रृंखला का अभाव, भूमि और श्रम सुधारों में सुस्ती, तकनीकी प्रशिक्षण में कमी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘मेड इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत सितंबर 2014 में हुई थी।
- ‘मेड इन चाइना 2025’ योजना मई 2015 में लॉन्च की गई थी।
- Apple भारत में अपने कुल iPhone उत्पादन का लगभग 15% करता है, जिसे भविष्य में 25% तक बढ़ाने की योजना है।
- Foxconn भारत में Apple की प्रमुख उत्पादन इकाइयों में से एक है।
‘Made in China 2025’ की सफलता यह दिखाती है कि किसी राष्ट्र की स्पष्ट और केंद्रित औद्योगिक नीति किस प्रकार उसे वैश्विक निर्माण शक्ति बना सकती है। भारत के लिए यह एक चेतावनी और अवसर दोनों है — यदि वह अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को व्यावहारिक, टिकाऊ और तकनीकी रूप से सक्षम बना सके, तो वह वैश्विक उत्पादन की दौड़ में चीन को चुनौती दे सकता है।