महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024: वामपंथी उग्रवाद पर नकेल या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा?

महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024: वामपंथी उग्रवाद पर नकेल या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा?

महाराष्ट्र विधानसभा ने 10 जुलाई 2025 को ‘महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक, 2024’ पारित किया, जिसका उद्देश्य राज्य में वामपंथी उग्रवादी संगठनों अथवा उनके जैसे समूहों की “अवैध गतिविधियों” को रोकना है। यह विधेयक अब विधान परिषद में प्रस्तुत किया जाएगा, और दोनों सदनों से पारित होने पर महाराष्ट्र इस प्रकार का कानून लागू करने वाला देश का पाँचवाँ राज्य बन जाएगा।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक में अवैध संगठनों के सदस्यों को दो से सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। इसके अंतर्गत किए गए अपराध संज्ञेय (cognisable) और गैर-जमानती (non-bailable) होंगे। साथ ही राज्य सरकार को ऐसे संगठनों की वित्तीय संपत्तियों को जब्त करने और कुर्क करने का अधिकार भी मिलेगा।
फडणवीस ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य कानून का दुरुपयोग करना नहीं है, बल्कि राज्य को वामपंथी उग्रवादियों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ बनने से रोकना है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 64 फ्रंटल संगठन सक्रिय हैं — जो देश में सर्वाधिक हैं — जबकि अन्य चार राज्यों में कुल 48 संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

विपक्ष की चिंताएं और आपत्तियाँ

विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने कई आपत्तियाँ जताईं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के विधायक विनोद निकोले ने कहा कि जो संगठन संविधान के दायरे में रहकर विरोध करते हैं, उन्हें भी इस कानून के अंतर्गत परेशान किया जा सकता है। एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार ने कहा कि विधेयक की परिभाषाएं अस्पष्ट हैं और “वामपंथी उग्रवादी संगठनों” की जगह सीधे “नक्सली संगठन” कहना अधिक उपयुक्त होता।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के विधायक वरुण सरदेसाई ने यह सवाल उठाया कि क्या विश्वविद्यालयों के छात्र संगठन या किसानों के समूह, जो सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं, उन पर भी इस कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है? उन्होंने कहा कि हर विश्वविद्यालय में वामपंथी विचारधारा वाले छात्र संगठन होते हैं, और उनका विरोध प्रदर्शन क्या उन्हें अपराधी बना देगा?

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • इस प्रकार के अन्य राज्य कानून: छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा पहले ही ऐसे सार्वजनिक सुरक्षा कानून लागू कर चुके हैं।
  • विधेयक की उत्पत्ति: यह विधेयक दिसंबर 2024 में शीतकालीन सत्र के दौरान प्रस्तुत किया गया था और संयुक्त चयन समिति को भेजा गया था।
  • संघीय ढांचे में विवाद: ऐसे कानून अक्सर संघीय ढांचे, मौलिक अधिकारों, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव के दृष्टिकोण से चर्चा का विषय बनते हैं।
  • फ्रंटल संगठन क्या हैं: ये वे संगठन होते हैं जो उग्रवादी संगठनों से सीधे नहीं जुड़े होते, परंतु उनके विचारों और उद्देश्यों को सार्वजनिक रूप से आगे बढ़ाते हैं।

विधेयक के पारित होने से राज्य सरकार को उग्रवादी संगठनों पर कार्रवाई करने की शक्ति मिलेगी, लेकिन इस पर यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इसका उपयोग लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए तो नहीं किया जाएगा। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक है कि इस कानून के कार्यान्वयन में पारदर्शिता, न्यायिक निगरानी और स्पष्ट दिशा-निर्देश सुनिश्चित किए जाएं, ताकि सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बना रह सके।

Originally written on July 11, 2025 and last modified on July 11, 2025.

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