महाराष्ट्र के निजी मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण लागू

महाराष्ट्र सरकार ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र से निजी मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की घोषणा की है। यह निर्णय महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) सेल द्वारा जारी की गई नवीनतम सूचना पुस्तिका से सामने आया। हालांकि यह फैसला बिना अतिरिक्त सीटें बढ़ाए लागू किया जा रहा है, जिससे सामान्य (General) श्रेणी के छात्रों के लिए सीटों की संख्या कम हो सकती है। इस कदम से छात्रों, अभिभावकों और कॉलेजों में चिंता की लहर फैल गई है।
EWS आरक्षण क्या है?
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का आरक्षण उन सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए है जो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अंतर्गत नहीं आते और जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय ₹8 लाख से कम है। 2019 में लागू इस नीति के अंतर्गत सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई थी।
अब तक की प्रथा क्या थी?
अब तक महाराष्ट्र के निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS आरक्षण लागू नहीं था। जो छात्र EWS मानदंडों को पूरा करते थे, उन्हें फीस में 50% तक की छूट मिलती थी। पिछले वर्ष से सामान्य वर्ग की छात्राओं को, यदि वे EWS श्रेणी में आती हैं, 100% फीस प्रतिपूर्ति की अनुमति दी गई थी। लेकिन उन्हें आरक्षित सीटों का लाभ नहीं मिलता था।
CET सेल की घोषणा का क्या आशय है?
CET सेल की सूचना पुस्तिका में लिखा है कि सरकारी, सहायता प्राप्त, नगर निगम और गैर-सहायता प्राप्त निजी संस्थानों (अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर) में राज्य कोटे की सीटों में से 10% सीटें EWS वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित की जाएंगी। यह संविधान के अनुच्छेद 15(6)(b) के अंतर्गत संभव है, जो 103वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
इस फैसले का प्रभाव क्या हो सकता है?
महाराष्ट्र में वर्तमान में 22 निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें कुल मिलाकर 3,120 सामान्य श्रेणी की सीटें हैं। यदि EWS आरक्षण इन्हीं सीटों से काटकर लागू किया जाता है, तो लगभग 300 सीटें सामान्य वर्ग से कम हो जाएंगी। इससे कट-ऑफ स्कोर बढ़ सकते हैं और प्रतियोगिता और कठिन हो सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- EWS आरक्षण भारत में 103वें संविधान संशोधन (2019) के बाद लागू किया गया।
- महाराष्ट्र में पहली बार EWS आरक्षण को निजी मेडिकल कॉलेजों में लागू किया जा रहा है।
- 2019 में जब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में EWS आरक्षण लागू हुआ था, तब सीटें बढ़ाई गई थीं।
- अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में इसी मुद्दे पर न्यायालयों ने निर्देश दिए हैं कि आरक्षण के साथ सीटें भी बढ़ाई जाएं।
सरकार का यह निर्णय सामाजिक समावेश की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठे हैं। बिना सीटें बढ़ाए आरक्षण लागू करना सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा का कारण बन सकता है। इसके साथ ही, निजी कॉलेजों की फीस संरचना में भी अस्थिरता आने की आशंका जताई जा रही है। स्पष्ट है कि इस मुद्दे पर सभी पक्षों को साथ लेकर एक संतुलित समाधान निकालना आवश्यक है।