‘मराठा मिलिटरी लैंडस्केप्स’ को मिला यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा: भारत के सैन्य इतिहास की वैश्विक मान्यता

11 जुलाई 2025 को भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण आया जब ‘मराठा मिलिटरी लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया। यह घोषणा यूनेस्को द्वारा पेरिस में आयोजित 47वें विश्व धरोहर समिति के सत्र के दौरान की गई। यह भारत की 44वीं साइट है जिसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला है।
क्या है ‘मराठा मिलिटरी लैंडस्केप्स’?
‘मराठा मिलिटरी लैंडस्केप्स’ 17वीं से 19वीं सदी के बीच विकसित की गई 12 प्रमुख किलों की एक श्रृंखला है, जो मराठा साम्राज्य की असाधारण सैन्य रणनीति, निर्माण तकनीकों और भू-स्थानिक अनुकूलन को दर्शाती है। यह किले महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों में फैले हुए हैं और विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में बनाए गए थे।
इस श्रेणी में शामिल 12 किले हैं:
- महाराष्ट्र: साल्हेर, शिवनेरी, लोहगड़, खांदेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग
- तमिलनाडु: जिन्जी किला (Gingee Fort)
क्यों खास हैं ये किले?
इन किलों की विशेषता केवल उनकी मजबूती नहीं है, बल्कि वे जिस रणनीतिक स्थान पर बनाए गए थे, वह मराठा साम्राज्य की सैन्य दूरदर्शिता को दर्शाता है। ये किले पर्वतों, समुद्र तटों, और जंगलों के बीच स्थित हैं और युद्धकाल में असाधारण सुरक्षा और निगरानी के केंद्र रहे हैं।
इन किलों की निर्माण शैली में स्वदेशी तकनीक, स्थानीय सामग्री और पर्यावरणीय अनुकूलता का समावेश मिलता है, जिससे ये सैन्य वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरण बनते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूनेस्को विश्व धरोहर समिति: यह समिति 21 सदस्य देशों से बनी होती है जो नई धरोहर स्थलों की समीक्षा और मौजूदा स्थलों के संरक्षण पर कार्य करती है।
- यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में भारत की कुल साइट्स: अब 44
- जिन्जी किला (Gingee Fort): मराठा सैन्य लैंडस्केप में एकमात्र गैर-महाराष्ट्र किला, जो तमिलनाडु में स्थित है।
- रायगढ़ किला: छत्रपति शिवाजी महाराज का राजधानी किला और मराठा सैन्य प्रणाली का केंद्रीय बिंदु।
भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस उपलब्धि को “भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का उत्सव” बताया। यह यूनेस्को टैग न केवल इन किलों की वैश्विक पहचान को सुनिश्चित करता है, बल्कि पर्यटन, संरक्षण और सांस्कृतिक अध्ययन के नए द्वार भी खोलता है।
मराठा सैन्य लैंडस्केप्स को विश्व धरोहर का दर्जा मिलना भारत के सामरिक इतिहास, वास्तुकला एवं सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक गर्व का क्षण है। यह उपलब्धि न केवल मराठा गौरव का प्रतीक है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भारत की सैन्य परंपरा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी है।