भारत-यूके व्यापक व्यापार समझौता (CETA): आर्थिक भागीदारी का नया अध्याय

भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने गुरुवार को एक आधुनिक और व्यापक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) नामक यह समझौता वैश्विक व्यापार युद्धों और भूराजनीतिक ध्रुवीकरण के दौर में साझा समृद्धि की दिशा में एक मजबूत संकेत है।

क्या है CETA और इसका महत्व?

  • 99% भारतीय निर्यात अब ब्रिटेन में ड्यूटी-फ्री पहुंचेगा।
  • 90% ब्रिटिश वस्तुएं भारत में शून्य शुल्क के साथ पहुंचेंगी।
  • यह भारत द्वारा किसी प्रमुख विकसित देश के साथ किया गया सबसे व्यापक व्यापार समझौता है।
  • व्यापार को 2030 तक $56 बिलियन से दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टारमर की उपस्थिति में यह समझौता बकिंघमशायर स्थित चेकरस में हुआ।

प्रमुख लाभ और समझौते की विशेषताएं

  • भारत को लाभ: वस्त्र, जूते, रत्न-आभूषण, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा।
  • ब्रिटेन को लाभ: मेडिकल डिवाइसेज़, एयरोस्पेस कंपोनेंट्स भारत में सस्ते और सुलभ होंगे।

किन वस्तुओं पर शुल्क में कटौती?

  • व्हिस्की: 10 वर्षों में 150% से घटकर 40% पर आ जाएगा।
  • कारें: 110% से घटकर 10%, लेकिन कोटा व्यवस्था के तहत।
  • उपभोक्ता वस्तुएं: साबुन, परफ्यूम, शेविंग क्रीम और नेल पॉलिश पर धीरे-धीरे शुल्क खत्म होगा।

किन वस्तुओं को छूट से बाहर रखा गया?

  • भारत: सेब, पनीर, घोल, सोने की ईंटें, स्मार्टफोन
  • यूके: मांस, चावल, चीनी और अंडे

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत-यूके CETA पर बातचीत जनवरी 2022 में शुरू हुई थी और 42 महीने में पूरी हुई।
  • समझौते में Double Contributions Convention (DCC) भी शामिल है, जिससे 75,000 भारतीय पेशेवरों को 20% सामाजिक सुरक्षा भुगतान से राहत मिलेगी।
  • भारत ने ब्रिटिश कंपनियों को सरकारी खरीद प्रणाली में हिस्सेदारी दी, जहां हर साल 40,000 निविदाएं (टेंडर) खुलती हैं।
  • अब केवल 20% स्थानीय सामग्री वाले ब्रिटिश उत्पाद भी “क्लास II” स्थानीय आपूर्तिकर्ता माने जाएंगे, जो पहले केवल 20-50% स्थानीय सामग्री वाले भारतीय उत्पादों के लिए आरक्षित था।

चिंताएं और आलोचनाएं

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 20% स्थानीय सामग्री नियम से ब्रिटिश कंपनियां 80% विदेशी सामग्री (जैसे चीन या यूरोपीय संघ से) का उपयोग कर भी ‘स्थानीय’ श्रेणी में शामिल हो जाएंगी, जिससे “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” कार्यक्रमों के उद्देश्यों को चोट पहुंच सकती है।

निष्कर्ष

CETA न केवल व्यापारिक संबंधों को गहरा करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को भी मजबूत करेगा। हालांकि यह समझौता कई सकारात्मक अवसर लाता है, परन्तु घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के मूलभूत सिद्धांतों पर इसके संभावित प्रभाव पर निरंतर निगरानी आवश्यक होगी।

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