भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता: स्कॉच व्हिस्की पर सीमा शुल्क में भारी कटौती, लेकिन इसकी कहानी है और भी रोचक

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर आयात शुल्क को 150% से घटाकर तुरंत 75% और आने वाले 10 वर्षों में 40% तक लाने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले ने न केवल व्यापारिक हलकों में उत्साह बढ़ाया है, बल्कि एक बार फिर स्कॉच व्हिस्की के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।
स्कॉच व्हिस्की की शुरुआत और विकास
“व्हिस्की” शब्द की उत्पत्ति गैलिक भाषा के शब्द uisge beatha (या usquebaugh) से हुई है, जिसका अर्थ है “जीवन का जल”। यह शब्द लैटिन शब्द aqua vitae से लिया गया है, जिसे मध्यकालीन युग में शराब के आसवन (distillation) से उत्पन्न किया गया था। 14वीं सदी के अल्केमिस्ट जॉन ऑफ रूपेसिसा ने इस तरल को संरक्षक गुणों से युक्त बताया था, जो मांस को खराब होने से बचा सकता था।
स्कॉटलैंड में इस तरल के पहले उल्लेख 1494 के कर-लेखों में मिलता है जिसमें फ्रायर जॉन को “aqua vitae” बनाने के लिए 8 बॉल्स (लगभग 500 किलोग्राम) माल्ट देने का आदेश था।
जब व्हिस्की बनी ‘लोगों की ड्रिंक’
16वीं सदी में जब आसवन की तकनीक बेहतर हुई, व्हिस्की को औषधीय गुणों के लिए जाना जाने लगा। 17वीं सदी तक uisge beatha शब्द का उपयोग विशेष रूप से जौ से बनी शराब के लिए होने लगा था — जो आधुनिक स्कॉच व्हिस्की का प्रारंभिक रूप था।
हाइलैंड क्षेत्रों में पीट से सुखाए गए माल्ट और पहाड़ी जल स्रोतों की शुद्धता से वहां की व्हिस्की विशेष रूप से धुएं जैसी और बोल्ड फ्लेवर वाली होती थी। वहीं, लोवलैंड इलाकों में करों के कारण मिश्रित अनाज का उपयोग शुरू हुआ, जिससे हल्के फ्लेवर वाली व्हिस्की बनी।
19वीं सदी: स्कॉच व्हिस्की का वैश्विक उदय
1823 में उत्पादन पर प्रतिबंध हटने के बाद व्हिस्की उद्योग ने तेजी से विस्तार किया। इस विस्तार के तीन मुख्य कारण थे:
- कॉलम स्टिल का विकास: 1830 के दशक में आई तकनीक ने थोक उत्पादन को संभव बनाया।
- ब्रांडी और वाइन की कमी: फ्रांस में फैले फाइलॉक्सेरा संक्रमण से शराब उत्पादन ठप हो गया, जिससे ब्रिटिश समाज स्कॉच की ओर मुड़ा।
- उपनिवेशवाद: ब्रिटिश उपनिवेशों में स्कॉच व्हिस्की एक ‘एलिट ड्रिंक’ बन गई, जिसे औपनिवेशिक वर्गों के अनुकरण में अपनाया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्कॉच व्हिस्की केवल स्कॉटलैंड में बनने वाली व्हिस्की को ही कहा जा सकता है।
- वर्तमान में स्कॉटलैंड में 150 से अधिक ऑपरेशनल डिस्टिलरी हैं।
- स्कॉच का वैश्विक वार्षिक निर्यात 1.4 अरब बोतलों से अधिक है।
- भारत स्कॉच व्हिस्की के लिए “प्राथमिक वृद्धि बाजार” माना जाता है।
यह व्यापार समझौता भारत में स्कॉच व्हिस्की को सस्ता और अधिक सुलभ बनाएगा, जिससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को लाभ होगा। लेकिन इसके साथ ही यह स्कॉच व्हिस्की की सदियों पुरानी परंपरा और सांस्कृतिक इतिहास को जानने का एक बेहतरीन अवसर भी है।