भारत में सैटेलाइट संचार सेवा शुरू करने को तैयार स्टारलिंक, मिली अंतिम मंजूरी

एलन मस्क के स्वामित्व वाली सैटेलाइट संचार कंपनी स्टारलिंक को भारत सरकार से अंतिम नियामक मंजूरी मिल गई है, जिससे कंपनी अब देश में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। तीन वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद मई 2025 में दूरसंचार विभाग (DoT) से ऑपरेटर लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, 10 जुलाई को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने कंपनी को अधिकृत किया है।

स्टारलिंक Gen1 के जरिए सेवा विस्तार की तैयारी

IN-SPACe के अनुसार, स्टारलिंक को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन ‘Starlink Gen1’ के माध्यम से भारत में सैटेलाइट संचार सेवा प्रदान करने की अनुमति दी गई है। यह कॉन्स्टेलेशन पृथ्वी की कक्षा में 540 से 570 किलोमीटर की ऊंचाई पर 4,408 उपग्रहों का समूह है, जो भारत में लगभग 600 Gbps डेटा थ्रूपुट प्रदान करने में सक्षम है। यह मंजूरी पांच वर्षों के लिए वैध होगी या Gen1 कॉन्स्टेलेशन की परिचालन अवधि तक, जो भी पहले समाप्त हो।

प्रतिस्पर्धा और साझेदारी: एक संतुलित रणनीति

भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के प्रयासों के दौरान स्टारलिंक को रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसे दिग्गज टेलीकॉम खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। हालांकि, बाद में कंपनी ने इन दोनों के साथ खुदरा साझेदारियां कर लीं ताकि वे अपने ग्राहकों को स्टारलिंक की सेवाएं उपलब्ध करा सकें। यह रणनीति विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में उच्च आय वर्ग के परिवारों को लक्षित करती है।

सैटकॉम सेवाएं कैसे काम करती हैं?

सैटेलाइट संचार सेवाएं पृथ्वी की कक्षा में स्थित उपग्रहों के समूह के माध्यम से काम करती हैं और उन स्थानों में भी इंटरनेट उपलब्ध कराती हैं जहाँ पारंपरिक केबल या फाइबर आधारित टेली कम्युनिकेशन पहुंच नहीं पाता। स्टारलिंक वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन का संचालन कर रहा है, जिसमें लगभग 7,000 उपग्रह सक्रिय हैं। हालांकि इनमें विलंब (latency) कभी-कभी ज्यादा हो सकता है, लेकिन यह व्यापक कवरेज और नेटवर्क स्थिरता सुनिश्चित करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NavIC क्या है: यह भारत का स्वदेशी क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन सिस्टम है, जो अमेरिकी GPS की तरह काम करता है।
  • IN-SPACe की भूमिका: अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रमोट करने और उन्हें संचालन की अनुमति देने वाला निकाय, जो अंतरिक्ष विभाग के तहत आता है।
  • DoT दिशा-निर्देश: मई 2025 में जारी दिशा-निर्देशों में डेटा स्थानीयकरण, देश में DNS समाधान, सुरक्षा स्वीकृति, और NavIC अनिवार्यता जैसे प्रावधान शामिल हैं।
  • Starlink Gen1 क्षमता: भारत में लगभग 600 Gbps डेटा थ्रूपुट और उच्च कवरेज क्षमता।

भारत में स्टारलिंक की सेवा की शुरुआत देश की डिजिटल पहुंच को और व्यापक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा सकती है। विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ आज भी इंटरनेट की कनेक्टिविटी एक चुनौती है, यह सेवा परिवर्तनकारी साबित हो सकती है। हालांकि उच्च लागत के कारण यह सेवा अभी विशेष वर्ग तक सीमित हो सकती है, लेकिन आने वाले वर्षों में प्रतिस्पर्धा और तकनीकी प्रगति से यह सेवा अधिक सुलभ बन सकती है।

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