भारत में विषमता में ऐतिहासिक गिरावट: गरीबी घटी, समानता बढ़ी

विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2011-12 से 2022-23 के बीच आय-विषमता (Inequality) में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब विश्व का चौथा सबसे अधिक समानता वाला देश बन गया है, जहाँ गरीबी भी तेजी से घटी है। यह उपलब्धि देश की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और लक्षित विकास नीतियों का परिणाम मानी जा रही है।
गिनी सूचकांक में भारत की स्थिति
गिनी सूचकांक (Gini Index) किसी देश में आय या उपभोग के वितरण में समानता का आकलन करने का प्रमुख उपकरण है। इसका पैमाना 0 से 100 तक होता है:
- 0 का अर्थ है पूर्ण समानता (हर व्यक्ति की आय समान)
- 100 का अर्थ है पूर्ण विषमता (सारी आय केवल एक व्यक्ति के पास)
भारत का गिनी स्कोर 2022-23 में 25.5 रहा, जो इसे स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और बेलारूस के बाद चौथे स्थान पर रखता है। यह चीन (35.7), अमेरिका (41.8) और यूके जैसे विकसित देशों से काफी बेहतर है।
गरीबी में गिरावट
विश्व बैंक के अनुसार:
- 2011-12 में भारत की चरम गरीबी दर 16.2% थी, जो अब 2022-23 में घटकर केवल 2.3% रह गई है।
- पिछले एक दशक में 171 मिलियन (17.1 करोड़) भारतीयों को चरम गरीबी से बाहर निकाला गया है।
- USD 2.15 प्रतिदिन की वैश्विक गरीबी सीमा को मानक मानकर यह आकलन किया गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत का गिनी सूचकांक 2011 में 28.8 था, जो 2022 में घटकर 25.5 पर आ गया।
- वैश्विक स्तर पर केवल 30 देश “मॉडरेटली लो” इनइक्वालिटी श्रेणी (गिनी स्कोर 25-30) में आते हैं।
- भारत अब “लो इनइक्वालिटी” श्रेणी (गिनी स्कोर <25) में शामिल होने से मात्र एक कदम दूर है।
- विश्व बैंक ने 167 देशों के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।
योजनाएँ जिनका प्रभाव पड़ा
सरकार ने विषमता में कमी के लिए जिन योजनाओं को अहम बताया है, वे हैं:
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): लाखों लोगों को औपचारिक बैंकिंग से जोड़ा।
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंचा।
- स्टैंड-अप इंडिया: अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं को उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित किया।
- स्वच्छ भारत, आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना: स्वास्थ्य, स्वच्छता और रसोई गैस जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया।
सामाजिक-सार्थक विकास की दिशा में भारत
रिपोर्ट के अनुसार, भारत न केवल तेज़ आर्थिक विकास कर रहा है, बल्कि उसे सामाजिक न्याय और समावेशिता के साथ संतुलित कर रहा है। यह संतुलन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से भारत को अलग करता है।
निष्कर्ष
भारत का गिनी इंडेक्स में सुधार और गरीबी में भारी गिरावट यह दर्शाती है कि देश ने न केवल आर्थिक मोर्चे पर, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। यदि यही रुख बना रहा, तो भारत जल्द ही दुनिया के सबसे समानता-संपन्न समाजों में शामिल हो सकता है। यह केवल सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि करोड़ों नागरिकों के जीवन में आई वास्तविक सकारात्मक बदलाव का प्रमाण है।