भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरपीज़ पर केंद्रित THSTI संगोष्ठी: नवाचार, सहयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम

भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरपीज़ पर केंद्रित THSTI संगोष्ठी: नवाचार, सहयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम

ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) ने आज मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAb) थेरेप्यूटिक्स की खोज और विकास पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर फार्मास्युटिकल उद्योग, स्टार्टअप्स, अनुसंधान एवं विकास सेवा प्रदाताओं (CRDMOs), विभिन्न फंडिंग एजेंसियों (जैसे BIRAC, वाधवानी फाउंडेशन) और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञ एक मंच पर एकत्रित हुए, जिससे वैज्ञानिक विचारों के आदान-प्रदान और भारत में mAb अनुसंधान को आगे बढ़ाने के नए मॉडल्स पर चर्चा हो सकी।

स्वदेशी नवाचार और उद्योग–शिक्षा साझेदारी का आह्वान

प्रो. जयंता भट्टाचार्य (डीन, THSTI) ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि नवाचार और खोज के प्रारंभिक चरण में ही उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्वदेशी और किफायती तकनीकों के विकास पर बल दिया, जिससे देश को अधिकतम लाभ मिल सके।
प्रो. जी. कार्तिकेयन (कार्यकारी निदेशक, THSTI) ने भारत की mAb क्षेत्र में प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि वर्तमान समय में नीति समर्थन के साथ एक निर्णायक मोड़ पर हैं। उन्होंने ऐसे क्लस्टर्स की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया जहां उद्योग और अकादमिक जगत साथ मिलकर अनुसंधान कर सकें और स्किल्ड मैनपावर तैयार कर सकें।

DBT की भूमिका और Bio-E3 नीति

डॉ. अल्का शर्मा (वैज्ञानिक-एच और वरिष्ठ सलाहकार, DBT) ने Bio-E3 नीति — Biotechnology for Economy, Environment & Employment — के मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ को प्रिसिजन मेडिसिन का अहम स्तंभ बताया और कहा कि DBT पूरी तरह से इनके विकास को समर्पित है। यह नीति भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में है।

प्रमुख तकनीकी सत्र और नवाचार

नवीन mAb खोज प्लेटफॉर्म:

  • बी-सेल क्लोनिंग द्वारा खोज – प्रो. जयंता भट्टाचार्य (THSTI)
  • नेक्स्ट जेनरेशन एंटीबॉडी इंजीनियरिंग – डॉ. मलॉय घोष (Zumutor Biologics)
  • मैमेलियन डिस्प्ले टूल्स – डॉ. कविता कुमारी (Syngene)
  • उपयुक्त एंटीबॉडी डिस्कवरी टूल्स – डॉ. राकेश कुमार (Aragen Life Sciences)

mAb विकास के आयाम:

  • एंटीबॉडी आर्किटेक्चर व मैन्युफैक्चरिंग क्षमता – डॉ. प्रिय रंजन पटनायक (Aurigene)
  • सटीक इम्यून रिस्पॉन्स हेतु इम्यूनाइजेशन तकनीक – डॉ. श्रीधर चक्रवर्ती (Syngene)
  • हाई सेक्रेटरी CHO होस्ट सेल लाइन का विकास – डॉ. सारिका मेहरा (IIT-B)
  • एंटीबॉडी ड्रग कंजुगेट्स – डॉ. सौरभ जोशी (SPARC)

mAb में उभरते क्षितिज:

  • सर्कुलर RNA द्वारा mAb तक पहुँच का लोकतंत्रीकरण – डॉ. आनंद खेडकर (Sekkei Bio)
  • AI आधारित एंटीबॉडी ड्रग डिज़ाइन – डॉ. अरिदनी शाह (Immunito AI)

समापन और सहयोग की दिशा में पैनल चर्चा

“Bio-E3 पहल के तहत स्वदेशी उपचार समाधानों की खोज और विकास को गति देने” पर आधारित पैनल चर्चा में वित्तीय सहायता, अकादमिक-उद्योग मेलजोल और भारत में mAb पारिस्थितिकी को मजबूत करने पर विचार साझा किए गए।
इस संगोष्ठी ने mAb थेरेपी के क्षेत्र में भारत की वैज्ञानिक क्षमता, उद्योग–शिक्षा साझेदारी की आवश्यकता और जैव प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह न केवल रोगों के उपचार में प्रभावी समाधान उपलब्ध कराएगा, बल्कि सामाजिक-आर्थिक प्रगति को भी बल देगा।

Originally written on June 11, 2025 and last modified on June 11, 2025.

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