भारत में बाढ़ पूर्वानुमान की दिशा में क्रांतिकारी पहल: C-FLOOD प्रणाली का शुभारंभ

भारत में बाढ़ पूर्वानुमान की दिशा में क्रांतिकारी पहल: C-FLOOD प्रणाली का शुभारंभ

भारत सरकार ने बाढ़ प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया को सशक्त बनाने की दिशा में एक और अहम कदम उठाया है। जल शक्ति मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री श्री सी. आर. पाटिल ने C-FLOOD नामक एकीकृत जलभराव पूर्वानुमान प्रणाली का उद्घाटन किया। यह प्रणाली पुणे स्थित उन्नत संगणन विकास केंद्र (C-DAC) और केंद्रीय जल आयोग (CWC) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है। इस आयोजन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

C-FLOOD: एकीकृत पूर्वानुमान का सशक्त मंच

C-FLOOD एक वेब आधारित प्लेटफॉर्म है जो दो दिन पहले तक गाँव स्तर तक बाढ़ की संभावना को दर्शाने वाले मानचित्र और जल स्तर का पूर्वानुमान प्रदान करता है। यह प्रणाली राष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंसियों के पूर्वानुमान परिणामों को एकीकृत करके एक समग्र निर्णय-सहायक उपकरण के रूप में कार्य करती है, जिससे आपदा प्रबंधन अधिकारियों को समय पर और सटीक जानकारी मिल सके।
वर्तमान में, यह प्रणाली महानदी, गोदावरी और तापी नदी घाटियों को कवर करती है, जबकि भविष्य में अन्य नदी बेसिनों को भी शामिल करने की योजना है। C-FLOOD प्लेटफॉर्म में अत्याधुनिक 2-डी हाइड्रोडायनामिक मॉडलिंग का उपयोग करके विभिन्न बाढ़ परिदृश्यों का सिमुलेशन किया जाता है।

उच्च प्रदर्शन संगणन और डेटा समेकन की भूमिका

महानदी बेसिन के लिए सिमुलेशन C-DAC पुणे में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत उच्च प्रदर्शन संगणन (HPC) अवसंरचना पर चलते हैं। वहीं, गोदावरी और तापी बेसिनों के पूर्वानुमान नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) द्वारा राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (NHP) के अंतर्गत विकसित किए गए हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • C-FLOOD एक वेब आधारित बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली है जो दो दिन पहले तक गाँव स्तर की जानकारी देती है।
  • यह प्रणाली C-DAC पुणे और केंद्रीय जल आयोग (CWC) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है।
  • इसका संचालन राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के अंतर्गत होता है, जो MeitY और DST द्वारा संचालित है।
  • वर्तमान में यह महानदी, गोदावरी और तापी नदी बेसिनों में कार्यरत है।

जन-जागरूकता और प्रणाली का विस्तार

श्री पाटिल ने संबंधित एजेंसियों को निर्देशित किया कि वे C-FLOOD पोर्टल को जनसाधारण में अधिक से अधिक प्रचारित करें ताकि समय रहते बाढ़ से निपटने की तैयारी की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सभी नदी बेसिनों के लिए समग्र जलभराव अध्ययन की योजना बनाई जाए और पूर्वानुमान डेटा को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन आपात प्रतिक्रिया पोर्टल (NDEM) में एकीकृत किया जाए।
सैटेलाइट वैलिडेशन और जमीनी सत्यापन के माध्यम से पूर्वानुमानों की सटीकता बढ़ाने पर भी बल दिया गया। साथ ही, CWC को C-DAC, NRSC और अन्य साझेदारों के साथ मिलकर इस प्रणाली के सुचारु संचालन और निरंतर उन्नयन के लिए समन्वय करने का निर्देश दिया गया।
भारत सरकार की यह पहल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। C-FLOOD न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि इसकी पहुँच और प्रभावशीलता इसे एक जन-हितैषी उपकरण बनाती है। यह भारत को आपदा पूर्वानुमान और प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक मानकों तक पहुँचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

Originally written on July 4, 2025 and last modified on July 4, 2025.

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