भारत में पहली LIGO परियोजना के लिए भूमि सौंपी गई
महाराष्ट्र में लगभग 225 हेक्टेयर भूमि लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory – LIGO) उद्यम के अधिकारियों को सौंप दी गई है।
मुख्य बिंदु
- देश में प्राथमिक सुविधा की व्यवस्था के लिए जमीन सौंपी गई थी।
- वर्तमान में अमेरिका में वाशिंगटन में हनफोर्ड और लुइसियाना में लिविंगस्टन में ऐसी कुछ प्रयोगशालाएं हैं। ये लैब गुरुत्वाकर्षण तरंगों की जांच करती हैं।
- यह वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को गुरुत्वाकर्षण तरंगों की अवधारणा में गहराई से शोध करने के लिए विकल्प प्रदान करेगा।
पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों के विश्लेषण के लिए 2016 में LIGO-इंडिया मेगा साइंस प्रस्ताव को ‘इन प्रिसेप्ट’ मंजूरी दे दी थी।
LIGO क्या है?
LIGO ब्रह्मांडीय गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने और प्रयोगों को अंजाम देने के लिए एक विशाल वेधशाला है। इसका मुख्य उद्देश्य खगोलीय अध्ययन में गुरुत्वाकर्षण-तरंग प्रेक्षणों (gravitational-wave observations) का उपयोग करना है। यह परियोजना वर्तमान में तीन गुरुत्वाकर्षण-लहर (GW) डिटेक्टरों को संचालित करती है। तीन में से दो वाशिंगटन के हनफोर्ड में हैं जबकि एक लुइसियाना के लिविंगस्टन में है।
LIGO India Project
LIGO इंडिया परियोजना का प्रस्ताव हैनफोर्ड से एक एडवांस्ड LIGO डिटेक्टर को भारत में लाने के उद्देश्य से किया गया था। यह परियोजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा संचालित है। भारत में इस परियोजना को तीन भारतीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से समन्वित और क्रियान्वित किया जाएगा, जैसे इंदौर में राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस टेक्नोलॉजी (RRCAT), परमाणु ऊर्जा संगठन विभाग: गांधीनगर में इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च (IPR) और पुणे में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA)।