भारत में चरम गर्मी का बढ़ता खतरा: 76% आबादी उच्च जोखिम में

भारत में चरम गर्मी का बढ़ता खतरा: 76% आबादी उच्च जोखिम में

भारत में बढ़ती गर्मी अब केवल असहजता का कारण नहीं रही, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) द्वारा 20 मई 2025 को प्रकाशित अध्ययन ‘भारत में चरम गर्मी का प्रभाव: जिला-स्तरीय गर्मी जोखिम का मूल्यांकन’ के अनुसार, देश की 76% आबादी अत्यधिक गर्मी के उच्च या बहुत उच्च जोखिम में है ।

गर्मी जोखिम सूचकांक (Heat Risk Index – HRI) का अवलोकन

CEEW ने भारत के 734 जिलों में गर्मी जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए एक गर्मी जोखिम सूचकांक (HRI) विकसित किया है। यह सूचकांक 35 संकेतकों पर आधारित है, जिनमें अत्यधिक गर्म दिनों और रातों की आवृत्ति, जनसंख्या घनत्व, विकलांग व्यक्तियों का प्रतिशत, भूमि उपयोग में परिवर्तन, और सामाजिक-आर्थिक कमजोरियां शामिल हैं ।

उच्च जोखिम वाले राज्य और जिले

अध्ययन के अनुसार, दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अत्यधिक गर्मी के उच्चतम जोखिम में हैं। इन राज्यों के अधिकांश जिले उच्च या बहुत उच्च जोखिम श्रेणियों में आते हैं ।

रातों की बढ़ती गर्मी और आर्द्रता का प्रभाव

2012 से 2022 के बीच, लगभग 70% जिलों में प्रति गर्मी मौसम (मार्च से जून) में पांच या अधिक अतिरिक्त अत्यधिक गर्म रातें दर्ज की गईं, जबकि केवल 28% जिलों में अत्यधिक गर्म दिनों की समान वृद्धि देखी गई। यह प्रवृत्ति शहरी क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट है, जहां कंक्रीट संरचनाएं दिन में गर्मी अवशोषित करती हैं और रात में धीरे-धीरे छोड़ती हैं, जिससे रातों की ठंडक कम हो जाती है ।
उत्तरी भारत, विशेषकर इंडो-गैंगेटिक प्लेन में, आर्द्रता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1982-2011 की तुलना में, 2012-2022 के बीच आर्द्रता 30-40% से बढ़कर 40-50% हो गई है, जिससे शरीर की पसीने के माध्यम से ठंडा होने की क्षमता कम हो जाती है और गर्मी से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है ।

शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक कमजोरियां

तेजी से हो रहे शहरीकरण और कंक्रीटीकरण ने गर्मी जोखिम को और बढ़ा दिया है। मुंबई, दिल्ली, पुणे, गुरुग्राम जैसे उच्च जनसंख्या घनत्व वाले शहरों में गर्मी का प्रभाव अधिक देखा गया है। इसके अलावा, बुजुर्गों की बढ़ती संख्या, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों की व्यापकता, और कम आय वाले समुदायों की सामाजिक-आर्थिक कमजोरियां गर्मी जोखिम को और बढ़ाती हैं ।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CEEW का गठन: काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) की स्थापना 2010 में हुई थी और यह नई दिल्ली में स्थित है। इसका उद्देश्य नीति निर्माताओं को अनुसंधान-आधारित अंतर्दृष्टि प्रदान करना है ।
  • गर्मी जोखिम सूचकांक (HRI): यह सूचकांक इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) के AR5 ढांचे पर आधारित है, जो जोखिम को खतरे, एक्सपोजर और कमजोरियों के संयोजन के रूप में परिभाषित करता है ।
  • 2024 की गर्मी लहर: 2024 में भारत ने 2010 के बाद से अपनी सबसे लंबी गर्मी लहर का अनुभव किया, जिसमें 44,000 से अधिक हीटस्ट्रोक के मामले दर्ज किए गए ।
  • राज्य आपदा शमन निधि (SDMF): 2024 में, गर्मी की लहरों को राज्य आपदा शमन निधि (SDMF) के तहत वित्तपोषण के लिए पात्र घोषित किया गया, जिससे राज्यों को शीतलन केंद्रों, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और हरित अवसंरचना जैसी हस्तक्षेपों के लिए धन प्राप्त करने में मदद मिली ।

भारत में बढ़ती गर्मी अब एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, जिसे केवल तापमान में वृद्धि के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह एक जटिल संकट है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए, नीति निर्माताओं, शहरी योजनाकारों और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा, ताकि एक गर्मी-लचीला भारत बनाया जा सके।

Originally written on June 7, 2025 and last modified on June 7, 2025.

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