भारत में गिग अर्थव्यवस्था का विस्तार: संभावनाएं और चुनौतियां

हाल ही में केंद्र सरकार ने पहली बार बाइक टैक्सी सेवाओं को एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संचालित करने की अनुमति दी है, बशर्ते राज्य सरकार इसकी अनुमति दे। यह निर्णय विशेष रूप से उन राज्यों के लिए राहत भरा माना जा रहा है, जैसे कर्नाटक, जहाँ हाल ही में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध के चलते हजारों गिग वर्कर अपनी आजीविका से वंचित हो गए थे। इस संदर्भ में गिग अर्थव्यवस्था के विकास और उससे जुड़े सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की चर्चा जरूरी हो जाती है।
गिग अर्थव्यवस्था क्या है?
विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अनुसार, गिग अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जिसमें व्यक्ति या कंपनियाँ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से अल्पकालिक और कार्य-आधारित भुगतान के आधार पर श्रम का आदान-प्रदान करती हैं। भारत में गिग वर्कर को “स्व-नियोजित” (self-employed) माना जाता है। गिग कार्य दो प्रकार के होते हैं:
- वेब-आधारित गिग कार्य: जैसे कंटेंट राइटिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डिजिटल मार्केटिंग आदि।
- स्थान-आधारित कार्य: जैसे ओला, उबर, जोमैटो और अर्बन कंपनी के माध्यम से ड्राइविंग, हाउसवर्क, फूड डिलीवरी आदि।
गिग अर्थव्यवस्था: अवसर या शोषण?
गिग कार्य को लचीलापन और स्वायत्तता देने वाला माना जाता है, विशेषकर महिलाओं के लिए, जो महामारी के बाद कार्यबल में वापस लौटी हैं। इसके माध्यम से वे घरेलू जिम्मेदारियों और आजीविका के बीच संतुलन बना पाती हैं। कई अध्ययन यह भी दर्शाते हैं कि महिलाएं गिग कार्य में अधिक कमाई करती हैं।
दूसरी ओर, यह भी तर्क दिया जाता है कि गिग कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, बीमा, और सवेतन अवकाश जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। वे “स्व-नियोजित” कहलाकर शोषण के शिकार बनते हैं। उदाहरणस्वरूप, 2024 की गर्मी की लहर के दौरान डिलीवरी कर्मचारियों को बिना किसी सुरक्षा के अत्यधिक तापमान में काम करना पड़ा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- गिग वर्कर्स की अनुमानित संख्या: V.V. Giri National Labour Institute के अनुसार, 2020 में भारत में 3 मिलियन गिग वर्कर थे, जो 2030 तक 23 मिलियन तक पहुंच सकते हैं।
- महिला भागीदारी: गिग इकोनॉमी में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है, खासकर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के कारण।
- राज्य सरकारों की पहल: राजस्थान ने 2023 में गिग वर्कर्स के लिए “Platform Based Gig Workers Act” पारित किया; तेलंगाना और कर्नाटक भी इसी दिशा में विधेयक ला चुके हैं।
- Code on Social Security, 2020: इस कानून में गिग वर्कर को एक अलग श्रेणी के रूप में परिभाषित किया गया है और उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं, लेकिन लागू करने में अभी भी कमी है।
गिग अर्थव्यवस्था भारत में रोजगार के एक नए रूप को दर्शाती है, जो तकनीकी प्रगति और डिजिटल सशक्तिकरण का प्रतीक है। हालांकि, जब तक इसके तहत काम करने वाले श्रमिकों को उचित सुरक्षा और सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक यह प्रणाली केवल असमानता और असुरक्षा का नया रूप बनकर रह जाएगी। इसलिए जरूरी है कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर गिग वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा हेतु प्रभावी और समान नीति बनाई जाए।