भारत में कार्बन उत्सर्जन में बीईवी का योगदान: आईआईटी-रुड़की और ICCT का महत्वपूर्ण अध्ययन

भारत में सड़कों पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG) अब राष्ट्रीय जलवायु नीति का एक प्रमुख विषय बन गया है। इस दिशा में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ है—भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की और इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) पारंपरिक इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में प्रति किलोमीटर 38 प्रतिशत कम CO₂e उत्सर्जन करते हैं।

अध्ययन की प्रमुख विशेषताएं

  • यह भारत में पहली बार GHG उत्सर्जन पर किए गए छह प्रमुख ‘लाइफ साइकिल असेसमेंट’ अध्ययनों का मेटा-विश्लेषण है।
  • अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि बीईवी सभी परिस्थितियों में ICE और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों (HEV) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, विशेषकर जब वास्तविक दुनिया के डेटा को ध्यान में रखा जाता है।

उत्सर्जन भिन्नता के प्रमुख कारण

अध्ययन में बताया गया कि कार उत्सर्जन में 75% भिन्नता के लिए तीन कारक ज़िम्मेदार हैं:

  1. ग्रिड कार्बन इंटेंसिटी (बिजली उत्पादन में उपयोग होने वाला कोयला आदि)
  2. प्रयोगशाला परीक्षण मान्यताएँ, जो अक्सर वास्तविक उपयोग से भिन्न होती हैं
  3. वास्तविक ड्राइविंग परिस्थितियाँ

उदाहरण के लिए, ग्रिड मिश्रण और दक्षता में अंतर से 368 ग्राम CO₂e प्रति किलोमीटर तक की उत्सर्जन भिन्नता हो सकती है—जो एक से अधिक पेट्रोल कारों के समतुल्य है।

बीईवी की रणनीतिक भूमिका

  • अध्ययन में चेतावनी दी गई कि स्वच्छ ग्रिड के इंतजार में बीईवी को अपनाने में देरी करना गलत रणनीति होगी, क्योंकि ICE वाहन एक बार खरीदे जाने पर 10-15 साल तक उत्सर्जन करते रहेंगे।
  • बीईवी धीरे-धीरे स्वच्छ होती बिजली व्यवस्था के साथ और भी कम उत्सर्जन करेंगी, जिससे उनका दीर्घकालिक लाभ और अधिक बढ़ेगा।

नीति सिफारिशें

अध्ययन ने कई नीति कदमों की सिफारिश की है:

  • बीईवी को तेजी से अपनाने की नीति बनाना
  • बिजली ग्रिड के डिकर्बोनाइजेशन प्रयासों को तेज करना
  • सभी वाहनों में ऑन-बोर्ड फ्यूल और एनर्जी कंजम्प्शन मीटर (OBFCM) को अनिवार्य करना
  • बायोफ्यूल्स के जीवनचक्र मूल्यांकन में भूमि उपयोग परिवर्तन (Land-Use Change) के प्रभाव को शामिल करना
  • वास्तविक दुनिया की ऊर्जा खपत के अनुसार नियमन बनाना

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • BEV (Battery Electric Vehicle): केवल बैटरी से चलने वाला वाहन, जो चार्जिंग से ऊर्जा लेता है और शून्य निकास उत्सर्जन करता है।
  • ICE (Internal Combustion Engine): पेट्रोल या डीज़ल से चलने वाला पारंपरिक इंजन।
  • HEV (Hybrid Electric Vehicle): ऐसा वाहन जिसमें इलेक्ट्रिक मोटर और ICE दोनों होते हैं।
  • CO₂e (Carbon Dioxide Equivalent): सभी ग्रीनहाउस गैसों को उनके CO₂ समतुल्य प्रभाव में मापा जाता है।
  • Net-Zero लक्ष्य: भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है।

इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत में स्वच्छ परिवहन नीति की दिशा में बीईवी की भूमिका अपरिहार्य है। लेकिन इन वाहनों के असली लाभ तभी सामने आएंगे जब वास्तविक डेटा, ज़मीन की सच्चाई और नीति में पारदर्शिता को समान रूप से प्राथमिकता दी जाएगी।

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