भारत-मालदीव आर्थिक सहयोग में ट्रेजरी बिल्स और वित्तीय साझेदारी की क्या भूमिका रहेगी?

मालदीव वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसमें सार्वजनिक और गारंटीकृत ऋण 2024 के अंत तक $9.4 बिलियन तक पहुंच गया है, जो देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 134% से अधिक है। विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा डाउनग्रेड के कारण देश के ऊपर डिफ़ॉल्ट का खतरा भी मंडरा रहा है । वहीं भारत ने पड़ोसी द्वीपीय राष्ट्र मालदीव को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की है। मई 2025 में, भारत ने मालदीव के $50 मिलियन के ट्रेजरी बिल को एक और वर्ष के लिए रोलओवर कर दिया है जो कि ब्याजरहित होगा। यह सहायता मालदीव सरकार के अनुरोध पर दी गई जिसकी सदस्यता भारतीय स्टेट बैंक ने ली है और इसका उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिरता और सुधार प्रयासों को समर्थन देना है।
भारत-मालदीव वित्तीय सहयोग की प्रमुख पहलें
- ट्रेजरी बिल्स का रोलओवर: भारत ने 2019 से मालदीव के ट्रेजरी बिल्स को नियमित रूप से रोलओवर किया है, जिससे देश को अल्पकालिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिली है।
- मुद्रा अदला-बदली समझौता: भारत और मालदीव ने $400 मिलियन और ₹3,000 करोड़ का मुद्रा अदला-बदली समझौता किया है, जिससे मालदीव को विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में सहायता मिली है।
- अन्य वित्तीय सहायता: भारत ने मालदीव को $100 मिलियन के ट्रेजरी बिल्स का रोलओवर भी प्रदान किया है, जो देश की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने में सहायक रहा है।
रणनीतिक महत्व
भारत की यह वित्तीय सहायता न केवल मालदीव की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। बल्कि यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को भी मजबूत करती है।हालांकि इस वर्ष हिंदमहासागर द्वीपसमूह की अर्थव्यवस्था स्थिर आधार पर है लेकिन सरकार ने इस वर्ष और अगले वर्ष लागभग एक बिलयन डॉलर ऋन्न सेवाएँ की प्रतिबद्धताएं रखी हैं। मालदीव की भौगोलिक स्थिति इसे क्षेत्रीय सुरक्षा और समुद्री मार्गों के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत, यह सहयोग दोनों देशों के बीच विश्वास और साझेदारी को गहरा करता है।