भारत ने संभाली एशियन प्रोडक्टिविटी ऑर्गनाइजेशन (APO) की अध्यक्षता

भारत ने 20–22 मई 2025 के बीच इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियन प्रोडक्टिविटी ऑर्गनाइजेशन (APO) की 67वीं गवर्निंग बॉडी मीटिंग (GBM) के दौरान वर्ष 2025–26 के लिए APO की अध्यक्षता औपचारिक रूप से ग्रहण की। इस अवसर पर भारत का प्रतिनिधित्व औद्योगिक संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के सचिव और भारत के APO निदेशक श्री अमरदीप सिंह भाटिया (IAS) ने किया।
APO का परिचय: उत्पादकता सहयोग का अंतरराष्ट्रीय मंच
एशियन प्रोडक्टिविटी ऑर्गनाइजेशन (APO) की स्थापना वर्ष 1961 में टोक्यो, जापान में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाना, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को बढ़ावा देना, और सतत आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है। APO के वर्तमान में 21 सदस्य देश हैं:
भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, मंगोलिया, ईरान, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, लाओस, ताइवान, तुर्किये, फिजी और हांगकांग (निष्क्रिय सदस्य)
भारत की भूमिका और ऐतिहासिक योगदान
भारत APO का संस्थापक सदस्य रहा है और वर्षों से इसके कार्यक्रमों और रणनीतियों को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाता आया है। हर वर्ष 100 से अधिक भारतीय पेशेवरों को APO के माध्यम से प्रशिक्षण, अध्ययन भ्रमण और तकनीकी कार्यशालाओं में भाग लेने का अवसर मिलता है।
भारत ने कई डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट्स भी अपनाए हैं जिनमें शामिल हैं:
- ग्रीन प्रोडक्टिविटी (Green Productivity): पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन तकनीकों का विस्तार
- Industry 4.0 for MSMEs: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए उन्नत तकनीकी समाधानों का क्रियान्वयन
- Agro-productivity enhancement: कृषि क्षेत्र में बेहतर संसाधन उपयोग और उत्पादन बढ़ाने की पहलें
भारत का APO अध्यक्ष के रूप में दृष्टिकोण
अध्यक्षता संभालते हुए भारत ने APO के Vision 2030 और Green Productivity 2.0 ढांचे को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। भारत के अनुसार, APO को चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:
डिजिटल परिवर्तन (Digital Transformation):
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, और ऑटोमेशन आधारित उत्पादकता टूल्स का उपयोग
- डिजिटल स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रमों की शुरुआत
सततता और हरित उत्पादकता (Sustainability & Green Productivity):
- अपशिष्ट न्यूनीकरण, ऊर्जा दक्षता और संसाधन संरक्षण पर ध्यान
- जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन रणनीतियाँ
नवाचार और उद्यमिता (Innovation & Entrepreneurship):
- स्टार्टअप इकोसिस्टम को समर्थन देना
- युवा और महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना
समावेशी विकास और सहयोग (Inclusive Growth & Regional Collaboration):
- ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने की रणनीतियाँ
- सदस्य देशों के बीच ज्ञान और प्रौद्योगिकी का साझा करना
Green Productivity 2.0: भारत की प्राथमिकता
Green Productivity 2.0, APO द्वारा प्रस्तावित नई पीढ़ी की रूपरेखा है जो पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है। इसमें सर्कुलर इकॉनमी, नवीकरणीय ऊर्जा, और सस्टेनेबल वैल्यू चेन डेवलपमेंट जैसे तत्वों को प्राथमिकता दी गई है। भारत ने इस दिशा में कई सफल मॉडल प्रस्तुत किए हैं, जैसे:
- सोलर ऊर्जा पर आधारित MSME इकाइयाँ
- कृषि में जैविक उर्वरकों और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग
- ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) की भूमिका
भारत में APO से जुड़ी सभी गतिविधियाँ National Productivity Council (NPC) के माध्यम से संचालित होती हैं, जो DPIIT के अंतर्गत कार्यरत एक स्वायत्त संस्था है। NPC न केवल APO कार्यक्रमों का समन्वय करता है, बल्कि भारत में उत्पादकता सुधार हेतु स्थानीय स्तर पर नीति निर्माण और क्षमता निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।