भारत ने बॉलिविया को भेजीं खसरा-रूबेला वैक्सीन की 3 लाख खुराकें: महामारी के बीच वैश्विक सहयोग का प्रतीक

बॉलिविया में खसरे के बढ़ते प्रकोप के बीच भारत ने 3 लाख खसरा और रूबेला (Measles & Rubella) वैक्सीन की खुराकें और अन्य चिकित्सा सामग्री भेजकर एक बार फिर वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के साथ अपनी मित्रता और सहयोग को दर्शाया है।

खसरा प्रकोप के बीच बॉलिविया में आपातकाल

बॉलिविया सरकार ने देश में खसरे के मामलों में तेजी से वृद्धि के चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। अब तक 60 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं। राष्ट्रपति लुईस आर्से काताकोरा ने सोशल मीडिया के माध्यम से यह घोषणा की और बताया कि सरकार का मुख्य उद्देश्य सामूहिक टीकाकरण और समन्वित प्रतिक्रिया के माध्यम से वायरस के प्रसार को रोकना है।

भारत की मदद और वैश्विक साझेदारी

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘X’ पर जानकारी देते हुए लिखा, “भारत ने बॉलिविया में खसरा और रूबेला के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए 3,00,000 डोज वैक्सीन और अन्य चिकित्सा सामग्री भेजी है। भारत वैश्विक दक्षिण के मित्रों के साथ खड़ा है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बॉलिविया के राष्ट्रपति की रियो डी जनेरियो में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान हुई मुलाकात में भी दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों की चर्चा हुई — जिनमें स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, और महत्वपूर्ण खनिजों का क्षेत्र प्रमुख रहा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Measles एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो निमोनिया, मस्तिष्क सूजन (Encephalitis) और मृत्यु का कारण बन सकती है।
  • भारत ने बॉलिविया को भेजी गई खुराकें UNICEF मानकों के अनुरूप तैयार की हैं, और ये विशेष रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए हैं।
  • बॉलिविया में हाल ही में टीकाकरण दर में गिरावट, COVID-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में रुकावट, और गलत सूचना के प्रसार से स्थिति और बिगड़ी।
  • बॉलिविया 6 अगस्त 2025 को अपनी स्वतंत्रता के 200 वर्ष पूरे करेगा और वह अब International Solar Alliance का भी सदस्य बन गया है।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने बॉलिविया में मार्च-अप्रैल 2025 की बाढ़ में हुई जनहानि पर संवेदना जताई और राहत सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने बॉलिविया के साथ चल रहे Quick Impact Projects, ITEC छात्रवृत्ति और क्षमता निर्माण पहलों की भी सराहना की।

निष्कर्ष

भारत की यह पहल सिर्फ मानवीय सहायता नहीं, बल्कि वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का प्रतीक भी है। वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ भारत की सक्रियता और स्वास्थ्य सहयोग संबंधी प्रयास, महामारी-उत्तर विश्व में भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ की भूमिका को और मजबूत करते हैं।

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