भारत के 10 सर्वाधिक साक्षर राज्य: पूर्वोत्तर राज्य बना रहे हैं नेतृत्व का उदाहरण

भारत शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और तकनीक जैसे अनेक क्षेत्रों में तेज़ी से प्रगति कर रहा है। विशेष रूप से साक्षरता के क्षेत्र में भारत के कई राज्य उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। हाल ही में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने आधिकारिक रूप से मिज़ोरम को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया, जो राज्य की शैक्षणिक यात्रा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस उपलब्धि के साथ यह भी स्पष्ट होता है कि पूर्वोत्तर भारत के राज्य साक्षरता के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। आइए जानते हैं भारत के 10 सर्वाधिक साक्षर राज्यों के बारे में:

मिज़ोरम: शिक्षा का शिखर

मिज़ोरम, जिसने 20 फरवरी 1987 को राज्य का दर्जा प्राप्त किया, आज 98.20% साक्षरता दर के साथ भारत का सबसे साक्षर राज्य बन गया है। 2011 की जनगणना में भी यह 91.33% की साक्षरता दर के साथ तीसरे स्थान पर था। ‘उल्लास – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ जैसी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन और समुदाय आधारित शिक्षा के प्रयासों से यह उपलब्धि हासिल हुई है।

लक्षद्वीप: ज्ञान के द्वीप

लक्षद्वीप, जो एक छोटा और भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश है, 97.3% साक्षरता दर के साथ शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय स्थान रखता है। यहां की सघन और सहयोगी समुदायिक संरचना ने शिक्षा को व्यापक रूप से पहुँचाया है।

नागालैंड: ज्ञान की यात्रा

पूर्वोत्तर भारत का एक और राज्य, नागालैंड, 95.7% साक्षरता दर के साथ साक्षरता की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है। विविध जनजातीय समुदायों में शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और सरकारी प्रयास इस सफलता के मूल में हैं।

केरल: शिक्षा की परंपरा

केरल लंबे समय से भारत का सबसे साक्षर राज्य माना जाता रहा है और अब भी 95.3% की साक्षरता दर के साथ अपनी विरासत को कायम रखे हुए है। यहां की मजबूत सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली और सामाजिक चेतना शिक्षा को जीवन का अभिन्न अंग बनाती है।

मेघालय: ज्ञान के बादल

मेघालय, 94.2% साक्षरता दर के साथ शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। राज्य ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में शिक्षा के लिए मजबूत आधारभूत संरचना विकसित की है।

त्रिपुरा: शिक्षा की सेतु

त्रिपुरा की 93.7% साक्षरता दर यह दर्शाती है कि यह राज्य शिक्षा को सभी वर्गों तक पहुंचाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। विशेषकर दूरदराज़ के क्षेत्रों में शिक्षा की पहुँच बढ़ाने में राज्य ने अनुकरणीय कार्य किया है।

चंडीगढ़: योजनाबद्ध प्रगति

यह केंद्र शासित प्रदेश और योजनाबद्ध शहर, 93.7% साक्षरता दर के साथ यह दिखाता है कि शहरी नियोजन और शिक्षा में निवेश कैसे हाथ में हाथ डालकर चलते हैं।

गोवा: तटीय शिक्षा केंद्र

93.6% साक्षरता दर के साथ गोवा न केवल पर्यटन के लिए बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी है। विविध सांस्कृतिक प्रभावों और मजबूत शिक्षा व्यवस्था ने राज्य को यह उपलब्धि दिलाई है।

पुडुचेरी: साक्षरता की मिसाल

पुडुचेरी, जो भारतीय और फ्रांसीसी प्रभावों का अद्भुत संगम है, 92.7% साक्षरता दर के साथ एक साक्षर और जागरूक समाज को दर्शाता है।

मणिपुर: पूर्वी ज्ञान का क्षितिज

मणिपुर ने 92% की साक्षरता दर के साथ यह साबित किया है कि भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिबद्धता और संकल्प से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
इन राज्यों की सफलता यह दर्शाती है कि भौगोलिक या सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद, समर्पण और योजनाबद्ध प्रयासों से शिक्षा को प्रत्येक नागरिक तक पहुँचाया जा सकता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य इस दिशा में पूरे देश के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं।

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