भारत के शहरों में ‘क्लीन आइलैंड्स’: IIT भुवनेश्वर के अध्ययन से वायु प्रदूषण पर नई दृष्टि

2003 से 2020 के बीच भारत के 141 शहरों पर किए गए एक उपग्रह-आधारित अध्ययन ने वायु प्रदूषण के संदर्भ में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व भारत के 57% शहरों में शहर के बाहर की तुलना में अधिक एरोसोल (aerosol) पाए गए, जबकि उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत के इंडो-गंगा के मैदानी क्षेत्रों (IGP) के 43% शहरों में इसके विपरीत स्थिति देखी गई — यानी इन शहरों में बाहरी क्षेत्रों की तुलना में कम एरोसोल पाए गए।
क्या हैं ‘अर्बन एरोसोल क्लीन आइलैंड्स’?
IIT भुवनेश्वर के शोधकर्ताओं ने उन शहरों को ‘अर्बन एरोसोल क्लीन आइलैंड्स’ (Urban Aerosol Clean Islands) कहा है जहाँ शहरों में बाहरी क्षेत्रों की तुलना में कम एरोसोल पाये गए। इसका मतलब यह हुआ कि इन शहरों में दूर-दराज़ से आने वाले प्रदूषण का प्रभाव सीमित या अवरुद्ध हो रहा है।
यह प्रभाव ‘विंड स्टिलिंग इफेक्ट’ नामक एक परिघटना से जुड़ा है, जिसमें बड़े और घने शहरी क्षेत्र सतही हवाओं को धीमा कर देते हैं, जिससे बाहरी धूल या प्रदूषकों का शहर के अंदर प्रवेश सीमित हो जाता है।
प्रमुख निष्कर्ष और वैज्ञानिक तर्क
- उत्तर भारत के शहर, जिन्हें आमतौर पर खराब वायु गुणवत्ता के लिए दोषी ठहराया जाता है, वास्तव में ‘प्रदूषण डोम’ नहीं बल्कि ‘क्लीन आइलैंड्स’ प्रदर्शित कर रहे हैं।
- प्री-मॉनसून अवधि के दौरान यह प्रभाव सबसे स्पष्ट रूप से देखा गया है क्योंकि इस समय में थार रेगिस्तान जैसी जगहों से आने वाली धूल अधिक होती है।
- दक्षिण भारत के शहरों में इस प्रकार के क्लीन आइलैंड्स नहीं देखे गए क्योंकि वहां बाहरी प्रदूषकों की पृष्ठभूमि नहीं होती — इसलिए वहां शहरी क्षेत्रों से ही प्रदूषण मुख्य स्रोत होता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अध्ययन IIT भुवनेश्वर के School of Earth, Ocean and Climate Sciences द्वारा किया गया।
- Urban Aerosol Clean Islands का प्रभाव विशेष रूप से प्री-मॉनसून काल में देखा गया।
- विंड स्टिलिंग इफेक्ट शहरी हवाओं को धीमा करके एक अदृश्य अवरोध पैदा करता है।
- दक्षिण भारत में देखा गया ‘अर्बन पॉल्यूशन आइलैंड’ प्रभाव — जहाँ शहरों में अधिक एरोसोल पाये गए।
- इस अध्ययन से पहले, शंघाई, अटलांटा और यूरोप के कुछ शहरों में भी इसी तरह के ‘क्लीन आइलैंड्स’ की पुष्टि हो चुकी है।
निष्कर्ष: शहरीकरण और जलवायु के जटिल संबंध
यह अध्ययन पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है कि लम्बी दूरी से आने वाला प्रदूषण शहरों को और अधिक प्रदूषित करता है। वास्तव में, तेजी से बढ़ते शहरी क्षेत्रों में बन रहे सूक्ष्म जलवायु (micro-climates) और वायुमंडलीय परिवर्तन वायु प्रदूषण की प्रकृति को प्रभावित कर रहे हैं। भविष्य में जलवायु-संवेदनशील और सतत शहरी नियोजन के लिए इन अंतःक्रियाओं को समझना अत्यंत आवश्यक होगा।