भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव: प्रक्रिया, पात्रता और दोबारा चुनाव का अधिकार

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस निर्णय ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया को पुनः केंद्र में ला दिया है, साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि क्या कोई पूर्व उपराष्ट्रपति दोबारा चुनाव लड़ सकता है।

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है, जिसे संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य मिलकर संपन्न करते हैं। इसके विपरीत, राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभाओं की भी भूमिका होती है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं होता।
यह चुनाव गोपनीय मतपत्र द्वारा एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote – STV) प्रणाली से होता है, जिसमें सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता के अनुसार क्रमबद्ध करते हैं। किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित होने के लिए वैध मतों का आधा से अधिक — यानी (कुल वैध मत ÷ 2) + 1 — प्राप्त करना आवश्यक होता है।
निर्वाचन आयोग इस चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया का संचालन करता है।

पात्रता की शर्तें

उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होती हैं:

  • भारत का नागरिक होना चाहिए
  • आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए
  • राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए
  • सरकार के अधीन कोई लाभ का पद (Office of Profit) धारण नहीं करना चाहिए

कार्यकाल और पुनः चुनाव का प्रावधान

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, लेकिन वह तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक उत्तराधिकारी निर्वाचित न हो जाए। भारत के संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई व्यक्ति कितनी भी बार उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। अतः कोई पूर्व उपराष्ट्रपति, चाहे वह कार्यकाल पूरा कर चुका हो या इस्तीफा दे चुका हो, फिर से चुनाव लड़ सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • जगदीप धनखड़, भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया है।
  • वी.वी. गिरि ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद छोड़ा था।
  • आर. वेंकटरमण ने 1987 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था।
  • उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्य विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती।

निष्कर्ष

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह न केवल संवैधानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और स्थायित्व को भी दर्शाता है। पूर्व उपराष्ट्रपति भी यदि चाहें तो इस चुनाव में भाग लेकर दोबारा इस पद को प्राप्त कर सकते हैं — यह भारतीय संविधान की लोकतांत्रिक व्यापकता का परिचायक है।

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