भारत का व्यापार विश्लेषण: Q3 FY25 में सेवाओं की ताकत और अमेरिका नीति पर विशेष फोकस

नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने 14 जुलाई 2025 को “ट्रेड वॉच क्वार्टरली” की तीसरी तिमाही (Q3) रिपोर्ट जारी की, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत के व्यापार प्रदर्शन का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इस संस्करण का विशिष्ट आकर्षण अमेरिका की बदलती व्यापार नीतियों और उनके भारत पर संभावित प्रभावों पर केंद्रित एक थीमैटिक सेक्शन है।

व्यापार प्रदर्शन: सतर्क लेकिन स्थिर

Q3 FY25 (अक्टूबर–दिसंबर 2024) के दौरान भारत के वस्तु निर्यात में 3% वृद्धि हुई और यह $108.7 बिलियन पर पहुंच गया। वहीं, आयात में 6.5% की वृद्धि दर्ज की गई और यह $187.5 बिलियन तक पहुंचा। इस व्यापार घाटे को भारत की सेवाओं से हुई $52.3 बिलियन की सरप्लस ने काफी हद तक संतुलित किया, जिसमें सेवाओं के निर्यात में 17% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
यह इंगित करता है कि भारत वैश्विक सेवा अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को तेजी से मजबूत कर रहा है। डिजिटल सेवा निर्यात (Digitally Delivered Services – DDS) में $269 बिलियन के साथ भारत वर्ष 2024 में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक बना।

निर्यात संरचना और नवाचार

भारत के निर्यात संरचना में स्थिरता बनी रही, लेकिन खास बात यह रही कि विमान, अंतरिक्षयान और उनके कलपुर्जों जैसे उत्पादों ने शीर्ष 10 निर्यात वस्तुओं में प्रवेश किया, जिसमें 200% से अधिक वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा, 2014 से भारत के हाई-टेक उत्पादों के निर्यात (जैसे विद्युत मशीनरी, हथियार/गोला-बारूद) में 10.6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) देखी गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Q3 FY25 में भारत का व्यापार घाटा $78.8 बिलियन रहा, लेकिन सेवाओं के सरप्लस से इसे काफी हद तक संतुलित किया गया।
  • भारत का डिजिटल सेवाओं का निर्यात 2024 में $269 बिलियन तक पहुंचा।
  • अमेरिका के साथ भारत की तुलना में अन्य देशों की टैरिफ असमानता, भारत के लिए सामरिक अवसर प्रदान कर सकती है।

अमेरिका की व्यापार नीति और भारत

इस संस्करण की थीमैटिक रिपोर्ट अमेरिका की नई टैरिफ संरचना पर केंद्रित है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाने का सामरिक अवसर मौजूद है — विशेष रूप से दवा, वस्त्र और विद्युत मशीनरी जैसे क्षेत्रों में, जहां भारत को प्रतिस्पर्धी टैरिफ लाभ प्राप्त है।
डॉ. विरमानी ने बताया कि वर्तमान में वैश्विक व्यापार भू-राजनीतिक बदलाव, तकनीकी परिवर्तन और नीतिगत अनिश्चितताओं से गुजर रहा है। ऐसे समय में, यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र के लिए एक उपयोगी संसाधन बन सकती है।

आगे की राह

भारत को इस वैश्विक व्यापार पुनर्संरचना का लाभ उठाने के लिए नीतिगत चपलता दिखानी होगी। निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए रिपोर्ट ने व्यापार सुविधा, नवाचार और प्रमुख बाजारों में रणनीतिक उपस्थिति पर जोर दिया है। यह भारत की आर्थिक उन्नति और वैश्विक व्यापार में मजबूत भागीदारी की दिशा में एक और सकारात्मक संकेत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *